विद्युतीकरण और कोचिंग डिपो बनने से ट्रेनों की संख्या बढ़ सकती है;

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गोड्डा में कोचिंग डिपो बन जाने से यहां से खुलने वाली तमाम ट्रेनों का मेंटेनेंस गोड्डा में होने लगेगा। अभी गोड्डा से चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन का भागलपुर और साहिबगंज में मेंटेनेंस होता है। प्रधानमंत्री ने हंसडीहा से गोड्डा के बीच हुए रेल विद्युतीकरण का भी उद्घाटन किया है। हालांकि विद्युतीकरण के बाद इस रेलखंड पर इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों का परिचालन कुछ दिन पहले ही शुरू कर दिया गया है। विद्युतीकरण और कोचिंग डिपो बनने से ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी और इसका लाभ भागलपुर और आसपास के लोगों को भी मिलेगा।

मालदा रेल मंडल के सीनियर डीएमई एसके तिवारी ने बताया कि गोड्डा में अभी ट्रेनों के मेंटेनेंस की सुविधा नहीं है। जिसकी वजह से लंबी दूरी की गाड़ियों का मेंटेनेंस यहां नहीं किया जा सकता है। सिर्फ पासिंग रूट के तहत गोड्डा स्टेशन का इस्तेमाल हो रहा है। क्योंकि यहां पर कोच मेंटेनेंस की सुविधा नहीं है। अब इसकी स्वीकृति मिल गई है और शिलान्यास के बाद फेज वन का काम शुरू हो जाएगा। गोड्डा में बनने वाले कोचिंग कॉम्प्लेक्स डिपो में एलएचबी रैक मेंटेनेंस की फैसिलिटी होगी। पहले फेज वन का काम होगा जिसकी अनुमानित लागत 49.94 करोड़ है। दूसरे फेज की अनुमानित लागत 45 करोड़ है। तीसरे फेज में अनुमानित लागत 48 करोड़ है। कुल 142.94 करोड़ की लागत से तीन फेज में कोचिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण होगा। गोड्डा रेलवे स्टेशन पर कोचिंग डिपो बन जाने के बाद, रेलवे के साथ आम जनता को काफी सुविधा होगी और यहां से लंबी दूरी की कई ट्रेनों का परिचालन किया जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि हंसडीहा से गोड्डा के बीच विद्युतीकरण का काम हो जाने से अब गोड्डा से दिल्ली तक हमसफर एक्सप्रेस और गोड्डा से रांची तक गोड्डा रांची एक्सप्रेस का इलेक्ट्रिक इंजन से परिचालन हो रहा है। अब कहीं डीजल इंजन लगाने की जरूरत नहीं हो रही है। पहले भागलपुर आने के बाद ट्रेन में डीजल इंजन लगाना पड़ता था तब ट्रेन गोड्डा तक जाती थी। विद्युतीकरण के बाद ट्रेनों की रनिंग टाइम भी कम हुई है। इस रेलखंड पर ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ाई जा रही है। इससे यात्रियों का टाइम बच रहा है। अभी भागलपुर में कोचिंग डिपो की स्थिति ऐसी है कि एक ट्रेन बढ़ जाने से रखरखाव की समस्या हो जाती है। हालांकि यहां भी 45 करोड़ की लागत से यार्ड रिमॉडलिंग का काम चल रहा है जो दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद यहां भी यार्ड की क्षमता बढ़ जाएगी। एक साथ चार ट्रेनों का मेंटेनेंस हो सकेगा। भागलपुर में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट भी लगाया गया है।