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केन्द्र को कौन बताए कि अंगिका व्युत्पन्न भाषा नहीं है – डॉ. अमरेन्द्र

वर्षों पहले केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने संविधान की अष्टम सूची में अंगिका, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, नागपुरी, मगही, लेप्चा, कुमाऊँनी, पहाड़ी और पाली को शामिल करने में दिक्कतें बताते हुए सीताकांत महापात्र समिति की रपट का हवाला दिया और कहा कि समिति की रपट में यह कहा गया है कि संविधान की अष्टम सूची के लिए हर राज्य से एक भाषा होनी चाहिए और वह आबादी के बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हो । भाषा राज्य की स्वतंत्र भाषा होनी चाहिए, व्युत्पन्न भाषा या बोली नहीं । भाषा का उच्चस्तरीय या सुपरिभाषित साहित्य होना चाहिए । महापात्र समिति की रिपोर्ट गलत नहीं है लेकिन रिपोर्ट की सिफारिश के अनुसार ही क्या संविधान की अष्टम सूची में भाषाओं को स्थान मिला है, वे महापात्र रिपोर्ट की शर्तों को पूरा करती हैं याकि उन्होंने सूची में शामिल होने के बाद ही अपनी उच्चस्तरीय और सुपरिभाषित होने का परिचय नहीं दिया । इस संबंध में विशेष बातें नहीं कर यहाँ सिर्फ अंगिका भाषा के संबंध में, कुछ उल्लेख करना चाहूँगा । अंगिका आजादी के बाद के अंग प्रदेश के निर्धारित भू…
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