-
राधा – वन्दना – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य
by AngDesh Admin on 9 hours ago - 0 Comments
जयति जय जय राधिका जय, जयति संकट टारिणी।जयति जय वृषभानुबाला जयति जय अघ हारिणी॥ नाम तोरोॅ पाप नाशक, नाश पापोॅ के करोॅ।दुखमयी धरती-धरा के, शीघ्र तों विपदा हरोॅ॥यातना यम के भगाबोॅ, त्रास मेटनहार छोॅ।भक्त हितकारी धरा पर, भक्त के आधार छोॅ॥ मांगलिक हर क्षण बनाबोॅ, आय मंगलकारिणी।जयति जय जय राधिका जय, जयति संकट टारिणी॥ बुद्धि […]
-
राधा – अध्याय 9 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य
by AngDesh Admin on 9 hours ago - 0 Comments
नद्दी नाला गंगा जल सें,मिलथैं मन हर्षाय।गंगा अकुलैलोॅ-बकुलैलोॅ,सागर बीच समाय॥1॥ चानोॅ सें चाननी सुरुज सें,किरण अलग न´् होय।ब्रह्म जीव नै अलग वोहिनाँ,कहै एक सब कोय॥2॥ जड़-चेतन सब्भै के आशा,इष्ट चरण लपटाय।मधुर मिलन सुख सार धरा पर,सगरे सब्भैं गाय॥3॥ ब्रह्मा जीव दोनों छै सुन्ना,सुन्ना सगरे छाय।सुन्ना सें जों निकलै सुन्ना,बचिये सुन्ना जाय॥4॥ एक संात, दोॅसर अनंत […]
-
राधा – अध्याय 8 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य
by AngDesh Admin on 9 hours ago - 0 Comments
मोहन जब से छोड़ी गेलै,राधा, गोकुल धाम।तब सें राधा चैन नैं पाबै,कखनूँ सुबहो-शाम॥1॥ वृन्दावन, वंशीवट सूना,सूना यमुना धार।कदमी डारें टँगलोॅ झूला,सब लागै बेकार॥2॥ सदा सुहानोॅ लागै मधुवन,गुंजै मुरली तान।अब राधा-मोहन बिन मधुवन,लागै छै सुनसान॥3॥ रीति रंग सब बदली गेलै,बदलै सदा-बहार।झलकै सगर विषाद जहाँ पर,हरदम हर्ष अपार॥4॥ राधा हौ गोकुल नगरी मेॅ,बैठी ध्यान लगाय।कृष्ण नाम ही […]
-
राधा – अध्याय 7 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य
by AngDesh Admin on 9 hours ago - 0 Comments
प्रभु लीलाधारी के लीला,अबेॅ कहौं की भाय।बसै द्वारिकाधीश द्वारिका,सागर बीच बनाय॥1॥ रुक्मिणी, जामवंती आरू,सतभामा के संग।हँसी-खुशी सब समय बिताबै,खूब जमाबै रंग॥2॥ पटरानी के संगें खेलै,चौसर, रास-विलास।छैलोॅ मुद-मंगल सब्भे ठाँ,खूबे हर्ष-हुलास॥3॥ लेकिन राधा मन-मंदिर सें,कभी दूर नै जाय।मोहन बिना अकेली राधा,राधा बिनु यदुराय॥4॥ एक दिनाँ के बात सुनाबौं,कृष्ण द्वारिका धाम।खूबे नाचै, खुशी मनाबै,गाबै राधा नाम॥5॥ रानी, […]
-
राधा – अध्याय 6 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य
by AngDesh Admin on 9 hours ago - 0 Comments
राधा-मोहन कथा-कहानी,जतना कहलोॅ जाय।सब लागै छै थोड़े टानी,मनमाँ कहाँ अघाय॥1॥ सब्भे सखियन बेचैनी सें,खोजै बहुत उपाय।केना रोकौं मनमोहन केॅ,जैतें मथुरा आय॥2॥ जखनी मोहन मथुरा चललै,छोड़ी गोकुल धाम।कोय सखी पहिया तर बैठै,पकड़ै कोय लगाम॥3॥ राधा तड़पेॅ समझ जुदाई,खूब बहाबै लोर।मत जा कान्हा, मत जा कान्हा,खूब मचाबै शोर॥4॥ प्राण बिना जेना तन सूना,चन्दा बिना चकोर।कोयल बिना बसन्त […]