अंगिका महोत्सव 2025 आयोजन संपन्न | Angika Mahotsav 2025

जिला प्रशासन भागलपुर आरो कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा दू दिवसीय आंगिका महोत्सव 26 फरवरी से आम्रपाली में आरंभ होय के 27 फरवरी 2025 के देर रात सेंडिस कंपाउंड के मुक्ताकाश में संपन्न होय गेलै।आयोजन के उद्घाटन संयुक्त रूप सेॅ डीडीसी श्री प्रदीप कुमार सिंह, अपर समाहर्ता श्री महेश्वरी प्रसाद सिंह, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी श्री अंकित रंजन के अलावे अन्य अधिकारी दीप जलाया के करलकै। अतिथि के स्वागत आरू सम्मान फूलमाला, अंगवस्त्र, मोमेंटो से करलो गेलै। फेरू पहिलो दिन के सफल प्रतिभागी के अतिथि द्वारा सम्मानित करलोॅ गेलै। पुणेन्दु चोधरी के कविता लेखन आरो पाठ मेॅ प्रथम, मिलै फेरू अर्पिता चौधरी, सूरज कुमार जायसवाल, अनिरूद्ध प्रसाद विमल, श्री रंजन आरनी के (सब के नाम उपल्बध नै छै) पुरस्कृत करलोॅ गेलै।

यही कड़ी में अंगिका के दू वरीय साहित्य कार डॉ. अमरेन्द्र आरू आमोद कुमार मिश्र के राहुल सांकृत्यायन साहित्य सम्मान से सम्मानित करतें हुएक्षअंगवस्त्र, मोमेंटो आरो अघोषित लिफाफा देलोॅ गेलै।कार्यक्रम के आगाज अंगिका कवि सम्मेलन (पंचामृत) सेॅ होलै। जैमेॅ अंगिका, मगही, भोजपुरी, …

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Rare Angika Books On Display in the Book Fair

जगप्रिय के व्यक्तित्व और साहित्य पर संगोष्ठी@ अंगप्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार और छात्र – छात्राएं भारी संख्या में उपस्थित रहे।प्रदीप विद्रोहीभागलपुर। अंगिका विभाग में अंगिका पुस्तक मेला का उद्घाटन विभाग की समन्वयक प्रो डॉ नीलम महतो के द्वारा गुरुवार को किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय IRPM विभाग के डॉ महादेव, टीएनबी कॉलेज IRPM विभाग के डॉ अरविंद एवं प्राचीन इतिहास विभाग के डॉ दिनेश गुप्ता मौजूद थे।इन्होंने छात्रों को जीवन में पुस्तक के महत्व के बारे में बताया एवं पुस्तक पढ़ने हेतु प्रेरित किया। अंगिका पुस्तक मेला देखने विभाग की छात्रा श्वेता सुमन के आमंत्रण पर विधान पार्षद अनामिका सिंह पटेल विभाग पधारी। उन्होंने अंगिका के पुस्तकों को देखकर हर्ष व्यक्त किया एवं अंगिका भाषा को आगे ले जाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कई पुस्तक भी खरीदी। विभाग के तरफ से उन्हें अंगिका से संबंधित पुस्तक देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर साहित्यकार मनोज कुमार माही ने स्वरचित पुस्तक पार्षद को भेंट की। कल विश्वविद्यालय अंगिका विभाग में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। जिसका विषय…

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आदरणीय सम्मानित मंत्री महोदया श्री मती दीपिका पाण्डेय सिंह जी नेॅ अंगिका भाषा मेॅ विधानसभा मेॅ शपथग्रहणलेलकै।हिनकां ढेरी सीनी बधाय आरो शुभकामना।डॉ. प्रदीप प्रभातमहासचिव, अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच झारखण्ड प्रदेश।

https://youtu.be/9mdtznVn3_w

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समीक्षा : “उपन्यास ‘गेना लैया’ : डॉक्टर अमरेंद्र” – अरुण कुमार पासवान

उपन्यास 'गेना लैया' : डॉक्टर अमरेंद्र++++++++++++++++++++++जिसे आप जी जान से चाहते हैं,उसे किसी भी हाल में छोड़ना नहीं चाहते हैं,पर छोड़ना आप की विवशता हो जाती है,वह आप के दिल के बहुत पास रहने लगता है।फिर जब भी सुयोग आता है आप अपने अंतराल की सारी कसर पूरी करते देखे जा सकते हैं। गांव और ग्रामीण संस्कृति के साथ मेरा भी ऐसा ही संबंध है।तो जब गांव पहुंचने का अवसर मिलता है,ग्रामीण संस्कृति की बात होने लगती है,ग्रामीण बोलचाल,शब्द या नाम सुनाई या दिखाई दे जाता है,मन करता है उसी में डूब जाऊं,और जो खोया है उसे जितना पा सकता हूं पा लूं।गेना नाम पहले भी सुना है,डॉक्टर अमरेंद्र जी के 'गेना' के पन्नों से गुज़रा भी हूं,(अच्छा है कि अब उसमें से कुछ भु याद नहीं)पर जब इसका पी डी एफ एक नए प्रकाशन के रूप में अमरेंद्र जी से ही प्राप्त हुआ तो उसमें तैरने, उतराने को जी करता है,आराम से धीरे धीरे।(यह मेरे लिए इस समय एक नई कहानी है,जिसे पढ़ते हुए,दुहराने जैसा कोई अहसास नहीं है,तो जिज्ञासा रत्ती भर भी कम न होगी।)नौकरी को मैं सदा मजबूरी मानता रहा हूं,रोटी के जुगाङ के लिए बस।यदि बिना नौकरी रोटी,कपड़ा …

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निधन: अंगिका के सिरमौर कवि श्री हीरा प्रसाद “हरेंद्र” नहीं रहे

अंगिका भाषा को पहचान दिलाने वाले कवि श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र (74) का १६ - मई २०२४ दोपहर, सुलतानगंज में निधन हो गया. वह कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. वह अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय महामंत्री थे. श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र अंगिका के सिरमौर कवि थे. अंगिका व हिंदी साहित्य में इनका अमूल्य योगदान है. अंगिका भाषा को समर्पित हीरा बाबू का जन्म 6 सितंबर 1950 को सुलतानगंज के कटहरा ग्राम में हुआ था. वह सेवा निवृत प्रधानाचार्य थे.

अपनी लेखनी से अंगिका में कई खंड काव्य, महाकाव्य व प्रबंध काव्य की रचना की. इनका काव्य खंड पुस्तक उत्तंग हमरो अंग और अंगिका महाकाव्य तिलकामांझी, टीएमबीयू में एमए के पाठ्यक्रम में छात्र पढ़ रहे है. अंगिका में गजल संग्रह, हिंदी संस्मरण, हिंदी काव्य संकलन, हिंदी एकांकी, लोक गाथा पर उपन्यास कुंडलियां व दोहे लिखे. कई सम्मान व पुरस्कार मिले. उन्हें आठ अप्रैल को अजगैवीनाथ साहित्य मंच सुलतानगंज की ओर से उमानाथ पाठक साहित्य स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया था. उनके निधन पर शहर के शिक्षाविद व साहित्कारों में शोक की लहर है. सुलतानगंज मुक्तिध…

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केन्द्र को कौन बताए कि अंगिका व्युत्पन्न भाषा नहीं है – डॉ. अमरेन्द्र

वर्षों पहले केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने संविधान की अष्टम सूची में अंगिका, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, नागपुरी, मगही, लेप्चा, कुमाऊँनी, पहाड़ी और पाली को शामिल करने में दिक्कतें बताते हुए सीताकांत महापात्र समिति की रपट का हवाला दिया और कहा कि समिति की रपट में यह कहा गया है कि संविधान की अष्टम सूची के लिए हर राज्य से एक भाषा होनी चाहिए और वह आबादी के बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हो । भाषा राज्य की स्वतंत्र भाषा होनी चाहिए, व्युत्पन्न भाषा या बोली नहीं । भाषा का उच्चस्तरीय या सुपरिभाषित साहित्य होना चाहिए । महापात्र समिति की रिपोर्ट गलत नहीं है लेकिन रिपोर्ट की सिफारिश के अनुसार ही क्या संविधान की अष्टम सूची में भाषाओं को स्थान मिला है, वे महापात्र रिपोर्ट की शर्तों को पूरा करती हैं याकि उन्होंने सूची में शामिल होने के बाद ही अपनी उच्चस्तरीय और सुपरिभाषित होने का परिचय नहीं दिया । इस संबंध में विशेष बातें नहीं कर यहाँ सिर्फ अंगिका भाषा के संबंध में, कुछ उल्लेख करना चाहूँगा । अंगिका आजादी के बाद के अंग प्रदेश के निर्धारित भू…
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इंदुबाला | Indubala

जाने माने साहित्यकार इंदुबाला का जन्म भागलपुर में १ दिसंबर १९५६ को हुआ. प्रारंभिक शिक्षा के उपरांत इन्होने हिंदी में एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (राजनीति शास्त्र), और फिर एल.एल.बी. की पढ़ाई की और बाद में हिंदी विभाग में शिक्षिका के तौर पर काम किया. ये प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. शिवचंद्र झा ‘आंगिरस’ की पत्नी हैं. इन्होने हिंदी और अंगिका भाषा में कई पुस्तकें लिखीं ।

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