हमरोॅ गाँव – अंगिका कविता – डॉ. परमानन्द पाण्डेय

हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

भागलपुर सें तीन कोस दक्खिन आ पूरब जानेंगोनू बाबाधाम सें पूरब पौने कोस बखानेंउत्तर हिरा भड़ोखर सटले दोनों एक समान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

जेकरोॅ गरदाँ-धुरदाँ लोटलाँ, जहाँ बितैलाँ बचपनजेकरोॅ खेत, नदी, बगिया में रमलोॅ छै हमरोॅ मनजे माटी रोॅ रस में भिजलोॅ हमरोॅ तन-मन-प्रान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

छेली हमरी माय वैष्णवी किरतन-भजन सिखैलकीसुख-दुख सहि पोसी-पाली केॅ हमरा बड़ोॅ बनैलकीधरमी माता सीता देवी, वरण-कमल में ध्यान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

क्रान्तिकारी पिताजी चुनचुन पाँड़े नाम उजागरनाग घोष के साथी जे, अङरेज डरै जिनकोॅ डरईस-देश-साहित्य-प्रेम उपजैलथिन पिता महान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

दीदी बड़ी सुदामा देवी श्यामा बहिन दुलारीसरोसती-लक्ष्मी रङ दोनों नैहर-सासुर प्यारीदोनों असमय विदा लेलकी गेली देश बिरान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

भैया पंडित नन्द सच्चिदा जिनकोॅ …

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