जाने माने साहित्यकार इंदुबाला का जन्म भागलपुर में १ दिसंबर १९५६ को हुआ. प्रारंभिक शिक्षा के उपरांत इन्होने हिंदी में एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (राजनीति शास्त्र), और फिर एल.एल.बी. की पढ़ाई की और बाद में हिंदी विभाग में शिक्षिका के तौर पर काम किया. ये प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. शिवचंद्र झा ‘आंगिरस’ की पत्नी हैं. इन्होने हिंदी और अंगिका भाषा में कई पुस्तकें लिखीं ।
/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:#2c2c2c;--divider-icon-size:20px;--divider-element-spacing:10px;--divider-pattern-height:24px;--divider-pattern-size:20px;--divider-pattern-url:none;--divider-pattern-repeat:repeat-x}.elementor-widget-divider .elementor-divider{display:-webkit-box;display:-ms-flexbox;display:flex}.elementor-widget-divider .elementor-divider__text{font-size:15px;line-height:1;max-width:95%}.elementor-widget-divider .elementor-divider__element{margin:0 var(--divider-element-spacing);-ms-flex-negativ…डॉ. सुजाता कुमारी | Dr. Sujata Kumari
डॉ. सरिता सुहावनी | Dr. Sarita Suhawani
डॉ. भूतनाथ तिवारी | Dr. Bhootnath Tiwari
बैकुंठ बिहारी | Baikunth Bihari
अनूप लाल मंडल | Anup Lal Mandal
प्रारंभिक जीवन के तैंतीस वर्षों तक अध्ययन और जीविकोपार्जन की दिशा में टैढ़ी मेढ़ी पगडंडियों से गुजरने के बाद भागवती प्रेरणा के फलस्वरूप अप्रत्यासिक रूप से भारती के अर्चना की ओर प्रवृत्त-प्रतिकूल परिस्थितियों में भी असदम्य उत्साह एवं अटूट निष्ठा से साहित्य साध्ना, सन अदम्य उत्साह एवं अटूट निष्ठा से साहित्य साधना,
सन 1921 ई. में प्रथम कृति निर्वासिता का प्रकाशन-अब तक कुल 18 उपन्यास प्राकाशित -मीमांसा नामक उपन्यास का ‘बहुरानी’ नाम से चल चित्रीकरण--रक्त और रंग’ नामक उपन्यास बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत ।
व्यक्तिगत सत्याग्रह में कारावास-असाध्य बात व्याध् िके साथ कारा मुक्ति। वह व्याध् ियथास्थान अब भी अचला राष्ट्रभाषा परिषद् के प्रारंभिक काल से सन 1963 तक प्राकशनाधिकारी के यप में सरकारी सेवा-कैवल्यधम आश्रम, महर्षि रमण आश्रम और विशेषतः श्री अरविन्द आश्रम में अध्यात्मिक जीवन की सुखानुभूति-साहित्य सृजन ही जीवन यात्रा का पाथेय।
/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:…सुधीर कुमार सिंह “प्रोग्रामर” | Sudheer Kumar Singh “Programmer”
अंगिका के जाने माने साहित्यकार सुधीर कुमार सिंह का जन्म वर्तमान मुंगेर के खड़िया गाँव में हुआ था.
अंगिका के जाने माने साहित्यकार सुधीर कुमार सिंह का जन्म वर्तमान मुंगेर के खड़िया गाँव में हुआ था.
उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। उनका झुकाव साहित्य की और बचपन से ही था और धीरे-धीरे वो इसमें रमते चले गए। अंगिका साहित्य में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। उन्हें साहित्य के क्षेत्र में कई सम्मान मिले।
/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:#2c2c2c;--divider-icon-size:20px;--divider-element-spacing:10px;--divider-pattern-height:24px;--divider-pattern-size:20px;--divider-pattern-url:none;--divider-pattern-repeat:repeat-x}.elementor-widget-divider .elementor-divider{display:-webkit-box;display:-ms-flexbox;display:flex}.elementor-widget-divider .elementor-divider__text{font-size:15px;line-height:1;max-width:95%}.elementor-widget-divider .el…डॉ. नरेश पाण्डेय चकोर | Dr. Naresh Pandey Chakor
Dr. Naresh Pandey Chakor was born 15 km south of Sultanganj under Bhagalpur district of Bihar. He was born on 3 January 1938 in a very ordinary farmer and Brahmin family in Devdha village, located at a distance of . His father's name was Shri Chandramohan Pandey and mother's name was Mrs. Prajavati Devi. He died in Patna on 14 November 2014.
Dr. Naresh Pa…
राम शरण शर्मा | Ram Sharan Sharma
Ram Sharan Sharma (26 November 1919 – 20 August 2011) was an Indian Marxist historian and Indologist who specialised in the history of Ancient and early Medieval India. He taught at Patna University and Delhi University (1973–85) and was visiting faculty at University of Toronto (1965–1966). He also was a senior fellow at the School of Oriental and African Studies, University of London. He was a University Grants Commission National Fellow (1958–81) and the president of Indian History Congress in 1975. It was during his tenure as the dean of Delhi University's History Department that major expansion of the department took place in the 1970s. The creation of most of the positions in the department were the results of his efforts. He was the founding Chairman of the Indian Council of Historical Research (ICHR) and a historian of international repute.
/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-image{text-align:center}.elementor-widget-image a{display:inli…