अनूप लाल मंडल | Anup Lal Mandal

प्रारंभिक जीवन के तैंतीस वर्षों तक अध्ययन और जीविकोपार्जन की दिशा में टैढ़ी मेढ़ी पगडंडियों से गुजरने के बाद भागवती प्रेरणा के फलस्वरूप अप्रत्यासिक रूप से भारती के अर्चना की ओर प्रवृत्त-प्रतिकूल परिस्थितियों में भी असदम्य उत्साह एवं अटूट निष्ठा से साहित्य साध्ना, सन अदम्य उत्साह एवं अटूट निष्ठा से साहित्य साधना, 

सन 1921 ई. में प्रथम कृति निर्वासिता का प्रकाशन-अब तक कुल 18 उपन्यास प्राकाशित -मीमांसा नामक उपन्यास का ‘बहुरानी’ नाम से चल चित्रीकरण--रक्त और रंग’ नामक उपन्यास बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत । 

व्यक्तिगत सत्याग्रह में कारावास-असाध्य बात व्याध् िके साथ कारा मुक्ति। वह व्याध् ियथास्थान अब भी अचला राष्ट्रभाषा परिषद् के प्रारंभिक काल से सन 1963 तक प्राकशनाधिकारी के यप में सरकारी सेवा-कैवल्यधम आश्रम, महर्षि रमण आश्रम और विशेषतः श्री अरविन्द आश्रम में अध्यात्मिक जीवन की सुखानुभूति-साहित्य सृजन ही जीवन यात्रा का पाथेय। 

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