कहलगांव तथा पीरपैंती प्रखंड में 58 हजार घरों में पेयजल संकट;

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बिहार सरकार की महत्वकांक्षी योजना करीब तीन सौ  करोड़ की लागत से निर्मित बहु ग्रामीण आर्सेनिक मुक्त जलापूर्ति योजना से कहलगांव और पीरपैंती प्रखंड के 36 पंचायत के 141 गांव में 58 हजार 600 घरों में शुक्रवार को चौथे  दिन भी जलापूर्ति बाधित रही। जलाापूर्ति बाधित रहने की वजह से  दोनों प्रखंडों के लोग को आर्सेनिक युक्त  पानी पीने को मजबूर हैं। 

प्रभारी उपाधीक्षक डॉक्टर विवेकानंद दास ने बताया कि  आर्सेनिक प्रदूषित  कुआं एवं चापाकल के गंदे जल के उपयोग से  चर्म रोग, चर्म कैंसर, यकृत, फेफड़े, गुर्दे एवं रक्‍त विकार संबंधी रोगों के अलावा हाइपर केरोटोसिस, आदि  रोग होने का खतरा होता है।  चर्म रोग एवं अन्य रोगों से  लोग पीड़ित हो रहे हैं। 

ग्रामीणों के अनुसार  उक्त परियोजना तकनीकी खामियों की वजह से महीने में 20 दिन जलापूर्ति बाधित ही रहती है। जबकि जेएमसी कंपनी के द्वारा पांच साल तक  मेंटेनेंस के साथ  नियमित जलापूर्ति करना है।

उद्घाटन के डेढ़ साल बाद भी सभी गांव में नियमित जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। पिछले चार दिनों से जलापूर्ति बाधित है।  कंपनी द्वारा तकनीकी खराबी का बहाना और  मेंटेनेंस कॉस्ट की बकाया राशि की मांग को लेकर हर माह में 15 से 20 दिन तक  जलापूर्ति बाधित कर दिया जाता है।

 इस संदर्भ में पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता विपुल नंदन ने बताया कि जानकारी के अनुसार जलापूर्ति योजना के तकनीकी खराबी को दूर कर लिया गया है। बकाया भुगतान  की इशू को लेकर कंपनी द्वारा पेयजल आपूर्ति बाधित कर दिया गया है। कंपनी से बात किया जा रहा है। पेयजल आपूर्ति की स्थिति सुधार नहीं होने पर कार्रवाई की जाएगी।