बांका: शहर के बीचों बीच बहने वाला जमुआ जोर कभी किसानों के लिए वरदान साबित होता था, पर आज इसकी अहमियत नहीं रह गयी है. जोर पर बने छिटके से डहुआ, परय, कपैटा एवं लहरते बहियार के लगभग सौ एकड़ भूमि की सिंचाई होती थी. किसान धान, गेहूं , मकई, मूंग, की खेती कर खुशहाल जीवन जी रहे थे. 1995 में आयी बाढ़ ने तबाही मचायी थी.
Source: Banka News
