भागलपुर। ठंड और शीतलहर से मक्के की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। इसमें मूल रूप से पत्ते का पीला होना, बैगनी होना, असामान्य वृद्धि तथा 10 डिग्री सेंटीग्रेट से कम तापमान होने पर परागकण अव्यस्था में निषेचन की क्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे दाना बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इस बारे में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के नोडल पदाधिकारी डॉ. सुनील कुमार ने एडवाइजरी जारी की है।
इसमें कहा गया है कि दाना कम बनने की वजह समय से पूर्व फसल लगाने से कम तापमान के कारण निषेचन नहीं होता है। परागकण बनने के समय तेज पछुआ हवा और नमी के कारण, मिट्टी में पोषक तत्व की कमी के कारण परागकण नष्ट होने, एक या दो जेनरेशन के बीज लगाने, खेत में गाजर घास की अधिकता के कारण घास मादा अंग पर जम जाते हैं, इससे निषेचन नहीं होने के कारण दाना नहीं बनता है। अगर शुरुआती प्रबंधन किया जाय तो समस्या कम हो सकती है। जैसे- फसल लगाने से पूर्व मिट्टी जांच कराएं, बाली निकलने के समय सिंचाई करें, खेतों में घास न उगने दें, बीज हमेशा प्राथमिक स्रोत से खरीदें और सही समय पर फसल लगाएं।