रेलवे भले ही स्टेशन को चकाचक और सौंदर्य बनाने का दावा करता हो, लेकिन अकबरनगर स्टेशन पर सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। स्टेशन पर पानी पीने के लिए चार चापानल हैं, लेकिन तीन खराब हैं। जो एक चापानल ठीक है, उससे साफ पानी नहीं निकल रहा। मजबूरन यात्रियों को प्यास बुझाने के लिए दूषित पानी पीना पड़ रहा है। अकबरनगर स्टेशन की आय की बात करें तो रोजना 30 से 35 हजार की टिकट की बिक्री होती है पर सुविधाएं नदारद हैं।
स्टेशन पर शौचालय से लेकर पानी तक की व्यवस्था नहीं है। यात्रियों को पीने के लिए स्वच्छ पानी नसीब नहीं है। रेल विभाग के पीडब्ल्यू ने अकबरनगर स्टेशन में तीन साल पूर्व बोरिंग व नल लगाया, लेकिन बोरिंग से अभी भी गंदा पानी निकल रहा है। बोरिंग को समय पर नहीं चलाने के कारण पानी साफ नहीं हो पाया। स्टेशन के दो नंबर प्लेटफॉर्म पर बने शौचालय की स्थिति बद से बदतर हो गई है। स्टेशन पर यात्रियों को रात में रुकने के लिए सोचना पड़ता है। अकबरनगर स्टेशन ट्रेन पकड़ने के लिए किरणपुर, अमरपुर, शाहकुण्ड, तिलकपुर, मकनपुर, रन्नूचक, इंग्लिश चिंचरौन, खेरैहिया, भवनाथपुर, पचरुखी सहित दर्जनों गांवों के लोग आते हैं। लेकिन सुविधा के नाम पर सिर्फ खानपूर्ति की गई है। अगर यात्रियों को प्यास बुझानी हो तो बोतलबंद पानी खरीदना पड़ता है। अकबरनगर स्टेशन पर सात जोड़ी एक्सप्रेस व आठ जोड़ी लोकल ट्रेनों का ठहराव होता है, लेकिन सुविधा हॉल्ट की तरह भी नहीं है।
स्टेशन मास्टर केके सिंह का कहना है कि स्टेशन पर पानी समस्या को लेकर 15 दिन पूर्व आरडब्ल्यू को कहा गया है। कुछ दिन पूर्व आया भी था, लेकिन कोई कार्य नहीं हो पाया। इससे समस्या जस की तस बनी हुई है।