सबाैर से कहलगांव के बीच एनएच-80 की दुर्दशा पर तीन साल पहले उनका दर्द छलका था, जब वे 29 फरवरी, 2020 काे विक्रमशिला महाेत्सव में सुराें की महफिल सजाने कहलगांव के प्राचीन विक्रमशिला महाविहार के पास कार्यक्रम स्थल पर मंच पर आए थे। लेकिन हालत यह है कि अब भी एनएच की स्थिति नहीं सुधरी है। तीन साल बाद एक बार फिर से विक्रमशिला महाेत्सव की तैयारी शुरू हाे गई है। 2020 के बाद काेराेना की वजह से दाे साल तक महाेत्सव का आयाेजन नहीं हाे सका। इस बार महाेत्सव के आयाेजन की दिशा में पहल की जा रही है। इसमें स्थानीय कलाकाराें के साथ राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कलाकार शिरकत करेंगे, लेकिन एक बार फिर से फनकाराें काे जर्जर एनएच से हाेकर ही कहलगांव पहुंचने पर विवश हाेना पड़ेगा।
विक्रमशिला महाेत्सव के आयाेजन के लिए इस बार पयर्टन निदेशालय की ओर से 31 जनवरी काे जिला प्रशासन काे पत्र भेजा गया। इसमें कहा गया कि विक्रमशिला महाेत्सव का आयाेजन 17 और 18 मार्च के लिए प्रस्तावित है। इसलिए अब इस दिशा में प्रशासन की ओर से पहल तेज की गई है। जिला प्रशासन ने पर्यटन निदेशालय से 40 लाख रुपए का आवंटन मांगा है। महाेत्सव की तैयारी के लिए साेमवार काे डीएम की अध्यक्षता में बैठक हाेगी। इसमें कहलगांव और पीरपैंती के विधायक काे भी आमंत्रित किया गया है।
बैठक में जर्जर एनएच-80 का मुद्दा उठने की संभावना है। बैठक में एनएच प्रमंडल और पथ निर्माण विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर काे भी बुलाया गया है। बैठक में एसएसपी, डीडीसी, एडीएम, कहलगांव के एसडीओ व डीसीएलआर, सिविल सर्जन, कहलगांव के बीडीओ, सीओ समेत थानेदाराें काे भी बुलाया गया है, ताकि बैठक में हर पहलू पर विस्तार से बात की जा सके। बैठक में जर्जर एनएच से हाेनेवाली समस्या के समाधान की दिशा में भी निर्णय हाेने की संभावना है।
एनएच काे किया जा रहा चाैड़ा, अभी घाेघा बाजार के पास चल रहा काम
जीराेमाइल से मिर्जाचाैकी के बीच 70 किलाेमीटर लंबे एनएच-80 का 484.88 कराेड़ से चाैड़ीकरण किया जाना है। इसके लिए काम शुरू हाे गया है। काम का जिम्मा टीटीसी इंफ्रा काे मिला है। इसके लिए 4 नवंबर, 2022 काे वर्कऑर्डर जारी हाे गया है। जबकि दिसंबर से काम शुरू हुआ है। इसे दाे साल के अंदर 2024 तक पूरा करना है। इसमें एनएच काे दस मीटर चाैड़ा किया जाना है। इसके लिए अभी घाेघा बाजार से शाहपुर के बीच सड़क काे खाेदकर उसमें बाेल्डर भरने के साथ स्टाेन डस्ट डाला जा रहा है। साथ ही सबाैर से कहलगांव के बीच सड़क किनारे से पेड़ाें काे भी काटा जा रहा है।
अफसर भी रूट बदलकर जाते हैं कहलगांव
जर्जर एनएच की वजह से न केवल राहगीराें, बल्कि अफसराें काे भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इसके बाद भी इसी हालत अब तक नहीं सुधर सकी है। हालत यह है कि जिला मुख्यालय से जब अफसर कहलगांव जाते हैं ताे उनलाेगाें काे रूट बदलना पड़ता है। सन्हाैला से धनाैरा-एकचारी हाेते हुए कहलगांव जाना पड़ता है। इससे करीब 30 किलाेमीटर की दूरी बढ़ जाती है। जबकि भागलपुर से कहलगांव के बीच 30 किलाेमीटर की दूरी है। लेकिन रूट बदलने से 60 किलाेमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है।