अंग एक्सप्रेस में सामान्य कोच की संख्या घटा दिए जाने के कारण कामगार वर्ग की मुसीबत किस कदर बढ़ गई है। इसकी बानगी बुधवार को बैंगलुरु जाने के लिए भागलपुर स्टेशन पर उस समय देखने को मिली। जब होली के बाद पहली बार यह सप्ताहिक ट्रेन स्टेशन पर खड़ी हुई। ट्रेन खुलने से पहले भीड़ का आलम यह था कि स्टेशन पर पांव रखने की जगह नहीं थी। सामान्य कोच में चढ़ने के लिए पहले तो यात्रियों ने घंटों कतार में लगकर टिकट लिया।
फिर कोच में चढ़ने के लिए 200 मीटर लंबी लाइन लगानी पड़ी। भीड़ इतनी थी कि यात्री कतार में एक घंटे से अधिक समय तक खड़े रहे। यह लाइन आरपीएफ थाने से लेकर पूर्वी छोड़ के अंत तक लगी थी। इसके बावजूद 1000 से अधिक यात्री ट्रेन में नहीं चढ़ पाए। दरअसल, यात्रियों की सहूलियत को देखते हुए अंग एक्सप्रेस में स्लीपर कोच की संख्या बढ़ाई गई थी, जिसके कारण सामान्य कोच की संख्या 4 से घटाकर दो कर दी गई है। इसके चलते सामान्य कोच के यात्री परेशान हो रहे हैं।
सीट की कौन कहे, ट्रेन पर चढ़ने को कतार
होली के बाद कामगार रोज हजारों की संख्या में दूसरे राज्यों काम की तलाश में लौट रहे हैं। जब वह घर से निकलते हैं तो इसी उम्मीद के साथ निकलते हैं कि वह अपने मंजिल पर पहुंचेंगे। लेकिन बुधवार को अंग एक्सप्रेस पकड़ने आए सैकड़ों कामगार जब ट्रेन में चढ़ नहीं पाए तो उनके चेहरे पर हताशा साफ झलक रही थी। बिहपुर के अमरपुर से ट्रेन पकड़ने आए लालचंद ने बताया कि गांव से 12 लोग विजयवाड़ा जाने के लिए स्टेशन आए थे।
लेकिन सीट नहीं मिली तो वापस गांव जाएंगे। वही, मधेपुरा के चौसा से ट्रेन पकड़ने आए रामविलास ने बताया कि हम गांव से भुवनेश्वर जाने के लिए 20 लोग आए थे। सिर्फ 7 लोग ट्रेन पर चढ़ पाए हैं। बाकी जुर्माना भरकर स्लीपर का टिकट टीटीई से लिया है। इनके अलावा कई ऐसे कामगार थे जिन्हें हताश होकर लौटना पड़ा।
अंग एक्सप्रेस में 29 मार्च तक 50 से अधिक वेटिंग
भागलपुर से होकर दक्षिण भारत बेंगलुरु की जाने वाली एक्सप्रेस सप्ताहिक ट्रेन अंग एक्सप्रेस में अभी 29 मार्च तक 50 से अधिक वेटिंग है। 22 मार्च को खुलने वाली इस ट्रेन में स्लीपर में 110, थर्ड एसी में 70, सेकेंड एसी में 30 वेटिंग है। जबकि 29 मार्च को स्लीपर में 78, थर्ड एसी में 22 सेकंड एसी में 12 वेटिंग है। जबकि 5 अप्रैल को स्लीपर में 44 वेटिंग है।