टीएमबीयू और बीएयू के बीच तीन मुद्दों पर होगा करार: कुलपति;

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भागलपुर, टीएमबीयू और बीएयू के बीच तीन मुद्दों पर करार होगा। इस करार के तहत दोनों विश्वविद्यालय के छात्र, शिक्षक और रिसर्च करने वाले कभी भी एक दूसरे संस्थान का उपयोग कर सकेंगे। इससे दोनों विश्वविद्यालय मिलकर बॉटनी के क्षेत्र में बड़े शोध प्रोजेक्ट तैयार कर काम करेंगे। आत्मनिर्भर भारत के लिए बागवानी और नर्सरी प्रमुख भूमिका में हैं। सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा इको सिस्टम को संवर्धित किया जा सकता है। बागवानी और नर्सरी के माध्यम से कई तरह के तनाव से मुक्ति मिलती है। यह बातें टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने बुधवार को पीजी बॉटनी विभाग में आयेाजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दौरान कही।

बीएयू के कुलपति प्रो. दुनिया राम सिंह ने कहा कि जीवन से मृत्यु तक बागवानी और नर्सरी हमारे साथ रहता है। भारत सरकार ने कई योजनाएं इसके संवर्धन के लिए बनाई हैं। इसे घर-घर तक पहुंचाने से काफी लाभ होगा। बागवानी से काफी आर्थिक लाभ व रोजगार मिल रहा है। हम देश ही नहीं विदेशों में भी व्यापार कर रहे हैं। पूर्व कुलपति प्रो. अवध किशोर राय ने कहा कि बागवानी एवं नर्सरी हर एक नागरिक का हिस्सा होता है। कई तरह की बागवानी है, जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है।

सेमिनार का उद्घाटन टीएमबीयू के कुलपति, बीएयू के कुलपति, बीएनएमयू के पूर्व कुलपति, कीनोट स्पीकर मानस कुमार पंडित, हेड डॉ. एचके चौरसिया, डॉ. अजय कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया। पीजी संगीत विभाग की छात्राओं ने कुलगीत प्रस्तुत किया। स्वागत करते हुए हेड डॉ. चौरसिया ने कहा कि बागवानी और नर्सरी जीवन का अंग हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। हमारी दशा एवं दिशा बागवानी व नर्सरी से गुजरती है। प्राचीन काल रामायण और महाभारत में भी इसकी चर्चाएं हैं।

कीनोट स्पीकर ने सीके कृषि विश्वविद्यालय, वेस्ट बंगाल के डॉ. मानस ने कहा कि बागवानी और नर्सरी सिविलाइजेशन के लिए जरूरी है। होम गार्डन से लेकर जू तक यह फैला हुआ है। इसकी जरूरत बॉयोडाइवर्सिटी के लिए बेहतर है। इस मौके पर डाटा बेस ऑन मेडिशनल प्लांट पुस्तक का विमोचन किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विवेक कुमार सिंह ने किया। डॉ. अजय चौधरी ने कार्यक्रम की विस्तृत चर्चा की। इस मौके पर प्रभारी डीएसडब्ल्यू डॉ. विजेन्द्र कुमार, डॉ. अशोक कुमार ठाकुर, डॉ. जगधर मंडल, डॉ. इकबाल अहमद, डीओ डॉ. अनिल कुमार, डॉ. अशोक कुमार झा समेत काफी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे।