टीबी उन्मूलन के लिए आगे आएं निजी क्षेत्र के डॉक्टर;

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भागलपुर, कार्यालय संवाददाता। सिविल सर्जन डॉ. अंजना कुमारी ने कहा कि टीबी उन्मूलन अभियान की दिशा में जिला यक्ष्मा विभाग बेहतरीन काम कर रहा है। अगर निजी क्षेत्र के डॉक्टर भी इस अभियान में अपना सक्रिय योगदान दे दें तो हम जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त करा सकते हैं। आप सब (निजी डॉक्टर) इस अभियान में भागीदारी करें।

सिविल सर्जन मंगलवार को आईएमए हाल में आयोजित टीबी ओरिएंटेशन सह ट्रेनिंग प्रोग्राम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी। इस मौके पर वरीय फिजिशियन डॉ. डीपी सिंह ने टीबी उन्मूलन की दिशा में निजी चिकित्सकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यहां से मिले प्रशिक्षण के बाद निजी डॉक्टर भी टीबी मरीजों का बेहतर जांच व इलाज कर सकेंगे। मौके पर टीबी एंड चेस्ट विभाग जेएलएनएमसीएच के डॉ. शांतनु घोष ने कहा कि एमडीआर का मरीज मिलते ही सबसे पहले उसे मायागंज अस्पताल में 14 दिन तक भर्ती करके उसका इलाज किया जाता है। इसके बाद अगर उसकी स्थिति में सुधार होता है तो उसे डिस्चार्ज करके घर भेज दिया जाता है। लेकिन उसका इलाज व मानीटरिंग लगातार होती रहती है। इस मौके पर डॉ. अमरेंद्र कुमार व डॉ. नारायण सिन्हा ने निजी डॉक्टरों को टीबी जांच एवं इलाज के दौरान ध्यान रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया।

निक्षय मित्र बनें भागलपुर के डॉक्टर: डीटीओ

कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ ने भागलपुर के निजी डॉक्टरों से आह्वान किया कि वे निक्षय मित्र बनें और टीबी मरीजों को गोद लें। ताकि हम समाज से टीबी को जड़ से उखाड़ सकें। टीबी उन्मूलन अभियान तभी सफल होगा, जबकि निजी क्षेत्र के डॉक्टर इस अभियान का हिस्सा बनेंगे। क्योंकि 55 से 60 प्रतिशत मरीज इलाज के लिए निजी क्लीनिक से लेकर अस्पताल में ही जाते हैं। इस मौके पर मास्टर ट्रेनर सह डब्ल्यूएचओ भागलपुर के सलाहकार डॉ. अवकाश कुमार ने स्लाइड प्रजेंटेशन के जरिये एमडीआर जांच की जानकारी दी और टीबी के जांच, इलाज व सावधानी आदि के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके सिन्हा, डॉ. अजय कुमार सिंह, फिजिशियन डॉ. आरपी जायसवाल, डॉ. पीबी मिश्रा, डॉ. बिनय झा, सर्जन डॉ. बीके जायसवाल, डॉ. हारून रशीद, महिला चिकित्सक डॉ. अंजना प्रकाश, टीबी एवं चेस्ट विभाग के चिकित्साधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने टीबी के इलाज में निजी चिकित्सकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस मौके पर जिला टीबी केंद्र की एसटीएस आराधना कुमारी, कुमार जीतेंद्र प्रसाद, डब्ल्यूएचपी के डिस्ट्रिक लीड धीरज कुमार आदि थे।