राज्यों के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल इस बार भागलपुर के जर्दालु आम का स्वाद चखेंगे। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर मई-जून में जर्दालु आम की पैकिंग कर सभी राजभवनों को भेजेगा। ऐसा पहली बार होगा जब सभी राज्यों के संवैधानिक प्रमुखों को जर्दालु आम भेजा जाएगा। अब तक जिला प्रशासन राष्ट्रपति, पीएमओ, बिहार के सीएम और राज्यपाल को जर्दालु भेजता रहा है। अब बीएयू एक नई पहल कर रहा है। बीएयू के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस योजना पर कार्य कर रहा है।
विवि की कोशिश है कि भागलपुर के स्वास्थवर्धक गुणों से भरपूर जर्दालु आम को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जाए। उन्होंने बताया कि अब तक देश के सुदूर हिस्सों में जर्दालु आम को इंटरनेट के माध्यम से ही देखा पढ़ा जा सकता है। लेकिन अब इन्हें वहां तक पहुंचाया भी जाएगा। भागलपुर का जर्दालु आम अपने स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है। ये बाकी सभी आमों से अलग और सुपाच्य होता है। इसकी वजह काली दोमट मिट्टी है। जो इसे हर तरह से अलग बनाती है।
जर्दालु आम के गुदे में नहीं हाेता है रेशा
जर्दालु आम उच्च गुणवत्ता व स्वाद के कारण जाना जाता है। यह आम का एक अगेती किस्म है। इसका मंजर जनवरी के अंतिम सप्ताह में निकलना शुरू होता है। 20-25 फरवरी तक निकलता रहता है। जून के प्रथम सप्ताह में फल पकने लगते हैं। इसके फल काफी बड़े एवं स्वादिष्ट होते है़। एक फल का औसत वजन 205-210 ग्राम होता है। छिलका थोड़ा मोटा होता है।
फलों का रंग पकने पर पीला-नारंगी होता है। फल में गूदा की मात्रा लगभग 67 प्रतिशत होती है। इसमें रेशा नहीं होता है। एक वृक्ष से औसतन 1500-2000 फल मिलते हैं। एक हेक्टेयर के बगीचे से 20-25 टन की उपज मिलती है। पके फल कमरे के तापक्रम पर 3-4 दिनों तक भंडारित किए जा सकते हैं। इस किस्म में भी द्विवर्षीय फलन की समस्या है।
मांग बढ़ेगी तो किसानों को होगा फायदा
कुलपति ने बताया कि जर्दालु काे जीआई टैग मिला हुआ है। देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचने से इसे और ख्याति मिलेगी। जिसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा। इस बार अधिक आर्डर मिलने की संभावना है। इससे अधिक से अधिक किसानों को जोड़ा भी जा सकता है। जीआई टैग प्राप्त होने के बाद अब जर्दालु आम की पैदावार करने वाले किसानों का पंजीकरण भी कराया जाएगा। इनमें उन किसानों को जगह मिलेगी जिसके पास जर्दालु आम के कम से कम पांच पेड़ हों।