नाइजीरिया और कीनिया के लोगों को भा रहे भागलपुर में केले के रेशे से बने कपड़े;

Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

रेशम नगरी भागलपुर में अब केले के थंब से निकले रेशे से कपड़े तैयार किए जा रहे हैं। इस तरह से तैयार कपड़े नाइजीरिया, कीनिया के लोगों को काफी पसंद आ रहा है। ऐसे कपड़ों की मांग बंगाल, यूपी, दिल्ली और हैदराबाद से भी है। लेकिन विदेशों में कपड़े अधिक बिक रहे हैं।

हबीबपुर मोमीनटोला, हुसैनाबाद नयाटोला, शाहजंगी, बादरपुर, पुरैनी आदि जगहों में 50 से अधिक बुनकर हैंडलूम पर केले के रेशे के धागे से कपड़े तैयार कर रहे हैं। इस रोजगार में 500 से अधिक महिलाएं भी लगी हुई हैं, जो रेशे को कताई कर धागा तैयार कर रही हैं। रेशे से योगा मैट, पूजा आसीन, बंडी, कारपेट, हैंड बैग, चटाई, पर्स, जैकेट आदि के कपड़े तैयार हो रहे हैं। व्यापारी केले के थंब का रेशा खगड़िया, पूर्णिया, सुपौल, हाजीपुर, मोतीहारी आदि से जगहों से ला रहे हैं और महिलाएं उससे धागा तैयार कर रही हैं। हबीबपुर मोमीनटोला के व्यापारी मोहम्मद शाहीन अंसारी ने बताया कि केले के थंब से निकले रेशे से सिल्क नगरी भागलपुर में भी कपड़े तैयार होने लगे हैं। कपड़ों के साथ-साथ रेशे के धागे की भी देश-विदेश में मांग हो रही है। नाइजीरिया और कीनिया कपड़ा व धागा भेजा गया है। खासकर योगा मैट की अधिक मांग है।

महीन धागा बनाने के लिए पानीपत भेजा गया है रेशा

व्यापारी शाहीन अंसारी ने बताया कि अभी तो भागलपुर में केले के रेशे से मोड़े धागे तैयार हो रहे हैं, लेकिन केले के रेशे से महीन धागा तैयार हो, इसके लिए रेशा को पानीपत भेजा गया है। ताकि रेशा से महीन धागा तैयार हो। महीन धागा होने पर इससे साड़ी तैयार की जाएगी। व्यापारी ने बताया कि केले के रेशा के धागे से अभी नासिक, मुबंई, केरल, अंध्रप्रदेश आदि जगहों में कपड़े तैयार हो रहे है, लेकिन अब भागलपुर में भी तैयार हो रहे हैं, जिसकी मांग अधिक है।

हैंडलूम पर तैयार हो रहे कपड़े

हबीबपुर मोमीनटोला के बुनकर मोहम्मद कादीर अंसारी, नयाटोला हुसैनाबाद के बुनकर नफीस अंसारी, शाहजंगी के बुनकर सोहराब, लड्डू आदि ने बताया कि हैंडलूम पर केले के रेशा के बने धागे से योगा मैट, पूजा आसीन, बंडी, कारपेट आदि के कपड़े तैयार हो रहे हैं। इससे रोजगार के नए अवसर मिले हैं। वहीं महिलाओं को भी रेशा से कातकर धागा बनाने का घर बैठे रोजगार मिल रहा है। एक किलो रेशा काटने पर महिलाओं को 120 रुपये मिलता है।