भागलपुर बायपास के लिए अधिग्रहित की गई जमीन में नियमों की धज्जियां उड़ाने की सच्चाई अब सामने आ रही है। बायपास परियोजना को लेकर 1995 में अधिग्रहित की गई जिस जमीन को सरकारी बताकर पथ निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को दिया गया था उसमें करीब 42 डिसमिल जमीन रैयती निकल गयी। अब मुआवजे से वंचित रहे रैयतों को करीब 27 साल बाद न्यायालय के फैसले के बाद मुआवजा दिया जाएगा। बायपास अब एनएच के अधीन है। ऐसे में मुआवजा के लिए सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (मोर्थ) ने अधिसूचना जारी की है। रैयतों को वर्तमान एमवीआर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।
बायपास अब एनएच डिवीजन के अधीन है। बायपास की यह सड़क अब एनएच 80 के नाम से जानी जाती है। जमीन नाथनगर के अम्बई निस्फ गांव में है। जो धनहर-2 प्रवृत्ति की है। यह जमीन एनएच 80 के 132.53 किमी से लेकर 132.685 किमी तक में है। करीब 0.1699 हेक्टेयर (42 डिसमिल) क्षेत्रफल की इस जमीन का मालिकाना हक अब निजी रैयत के पास है। ऐसे में न्यायालय के आदेश के बाद विभाग रैयतों को मुआवजा देकर मुक्त होना चाह रहा है। रैयतों को जल्द नोटिस भेजकर दफ्तर बुलाया जाएगा। इस मामले को लेकर भागलपुर न्यायालय में मुकदमा चला था। जिसमें पक्षकार के पक्ष में निर्णय दिया गया। अफसोस न्यायालय से फैसला आने से पहले ही पक्षकार की मौत हो गई।