बिना डॉक्टर बने बचा सकते हैं लोगों की जान:जीवन जागृति सोसायटी की पहल, नवयुग विद्यालय के बच्चों को बताया CPR का तरीका;

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लगातार जीवन बचाने के अभियान में जुटी जीवन जागृति सोसाइटी के द्वारा आज नवयुग विद्यालय में प्रिंसिपल सुबोदीप डे एवम दर्जनों शिक्षकों के उपस्थिति में छात्रों को सीपीआर सिखाने का कार्यक्रम किया गया।

सी पी आर( कार्डियो पल्मोनरी रीससीटेशन) यानि हृदय और सांस को पुनर्जागृत करने की विधि सिखाने की कार्यशाला नवयुग विद्यालय में किया गया। जीवन जागृति सोसाइटी की टीम वहां पहुंच कर वहां मौजूद करीब 200 बच्चों एवं शिक्षकों को डमी(पुतले) पर सी पी आर करके उन्हें सी पी आर सिखाया गया। संस्था के अध्यक्ष डॉ अजय सिंह ने बताया कि चाहे किसी को घर या ऑफिस में हार्ट अटैक हो या सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति हो या डूब रहे व्यक्ति को बचाने के बाद वह अचेत है और लगातार उसकी सांसें नहीं चल रही है और धडकन यानी पल्स नहीं चल रहा हो तो उसके छाती के बीचों बीच दोनों हथेलियों को इंटरलॉक करते हुए छाती के सबसे निचले हड्डी से दो उंगली की चौड़ाई के ऊपर दोनों निपल के बीच एक मिनट में 100 के रफ्तार से 25 बार छाती दो इंच तक दबाना होता है और फिर 2 बार मुंह में सांस देना है। यह प्रक्रिया कई मिनट तक करना है और इस बीच एम्बुलेंस और पुलिस को फोन लगाकर अस्पताल पहुंचना है। इस तरह से कोई भी आम व्यक्ति जो चिकित्सक नही है तो भी मरते हुए व्यक्ति की जान बचा सकता है।

इस कार्यक्रम में उपस्थित एन डी आर एफ से ट्रैंड आशीष कुमार ने दुर्घटना होने पर आर्टिफिशियल स्ट्रैचर गर्दन में चोट होने पर पेपर का कालर भी बच्चों को बना के दिखाया साथ ही कहीं से रक्त स्राव हो रहा हो तो उसको बंद करने का उपाय, कील या छड़ किसी अंग में घुस गया हो तो क्या करना बातों को भी बताया। डॉ सिंह ने बच्चों को दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने पर सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अब डरे नहीं, बल्कि सरकार ऐसे गुड सिमेरिटन को जो दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाते हैं उनको 5000 रुपए इनाम देती है।