बेगूसराय के शहरी इलाकों में 236. 86 करोड़ की लागत से चल रही सीवरेज निर्माण योजना अब अंतिम चरणों में है। एक तरफ जहां शहर में 91.5 किलोमीटर पाइपलाइन में से 84 किलोमीटर पाइपलाइन बिछा लिया गया है। वही ट्रीटमेंट प्लांट का भी 75% कार्य पूरा हो गया। बुडको का दावा है कि दिसंबर महीने से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट काम करना शुरू कर देगा। जिससे शहर के करीब ग्यारह हजार घरों से जल निकासी किया जाएगा। जिसे बाजीतपुर बांध के समीप बनाए गए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में वाटर को ट्रीट कर आईओसीएल को भेजा जाएगा। दैनिक भास्कर ने इस से जुड़ा हुआ पूरा डिटेल अपने पाठकों के लिए वाटर ट्रीटमेंट पहुंचकर पता किया । नीचे पढ़ें पूरी खबर
प्रतिदिन साफ होगा 170 लाख लीटर पानी
बता दें कि शहर के घरों से पाइप लाइन के माध्यम से गंदा पानी को लोहिया नगर और पिपरा में बनाए गए पंपिंग स्टेशन के वेल में पानी को गिराया जाएगा । जहां से पानी को पंप कर मेनहोल से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा । वहां 170 लाख लीटर पानी प्रतिदिन साफ होंगे और फिर वहां से पंप कर आईओसीएल को भेजा जाएगा।
बनाए गए हैं तीन पंपिंग स्टेशन
इसको लेकर निर्माण कंपनी के द्वारा शहर के लोहियानगर में 8 MLD और पिपरा में 9 MLD का पम्पिंग स्टेशन बनाया गया है। वहीं वाटर ट्रीट मेंट प्लांट के समीप 17 MlD का पम्पिंग स्टेशन बनाया गया है।
बुडको का दावा दिसम्बर माह तक खत्म होगा काम
बता दें कि शहर में नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवरेज पाइप लाइन बिछाने को लेकर सालों से काम चल रहे हैं। बीते 3 साल से लगातार अपने ही तय किए गए समय को बुडको के द्वारा पूरा नहीं किया जा रहा है। अब बुडको के एसडीओ अमित कुमार का दावा है कि दिसंबर महीने से सीवरेज पाइप लाइन से पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचने लगेगा और यह प्रॉपर तरीके से काम करने लगेगा।
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का 70% कार्य हुआ पूरा
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कर रही तोशिबा वाटर सॉल्यूशन कंपनी के आरसीएम श्रीस भागवत ने दैनिक भास्कर को बताया कि कंस्ट्रक्शन और मैकेनिकल वर्क दोनों साथ साथ चल रहे हैं। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो दिसंबर माह तक फिटमेंट प्लांट का ट्रायल शुरू हो जाएगा। इसके बाद कुछ ही समय बाद प्रॉपर तरीके से प्लांट काम करने लगेगा और शहर की पानी को यहां लाकर साफ कर बुडको के हवाले किया जाएगा।
बाद वेस्ट मटेरियल का खाद में होगा उपयोग
बता दें कि कंपनी से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि एक इकाई में 5% पानी से वेस्ट मटेरियल निकलेगा। जिसका इलाज को लैंडफिलिंग में या उसको सड़ा गला कर जैविक खाद के तहत खेतों में उपयोग किया जा सकता है।