भागलपुर जिले की आबादी करी 40 लाख है। मानक के अनुसार 870 लोगों की सुरक्षा के लिए एक पुलिस जवान हाेना चाहिए, लेकिन हालत यह है कि हर 1588 लोगों की सुरक्षा का जिम्मा एक पुलिसवाले के जिम्मे है। मानक के मुताबिक जिले में 4600 पुलिसकर्मियाें की जरूरत है। लेकिन अभी जिले में 3153 स्वीकृत पद ही हैं और 2518 ही कार्यरत हैं। इसका नतीजा यह हाे रहा है कि पुलिस न ताे सही तरीके से आपराधिक घटनाओं का अनुसंधान कर पा रही है और न ही क्राइम कंट्राेल कर पा रही है।
सबसे अधिक कमी एसआई व एएसआई रैंक के अधिकारियाें की है। पुलिस बल की कमी के कारण पूरे जिले के सभी थाना और ओपी में वर्षों के मामले पेंडिंग हैं। हर क्राइम मीटिंग में पेंडिंग मामले के निपटारे के निर्देश दिए जा रहे हैं। लेकिन पुलिसकर्मियाें पर काम का इतना बाेझ है कि यह पूरा नहीं हाे पा रहा है। कई थानाें में एक पदाधिकारी को कई केस के अनुसंधान का जिम्मा है। तिलकामांझी ओपी में दिसंबर 2022 तक के लगभग 218 पुराने मामले पेंडिग हैं। नए मामले सामने आते ही पुराने केस की फाइल पर धूल जमने लगती है। इससे न सिर्फ जांच में देरी होती है, बल्कि पुलिस को कई अहम साक्ष्य से भी वंचित रहना पड़ता है।
मानक के मुताबिक एक लाख की आबादी पर 115 पुलिसकर्मी हाेने चाहिए
104 जवान अफसर-नेताओं की सुरक्षा में जुटे
राज्य में प्रति लाख आबादी पर कुल 115 पुलिस जवान के पद स्वीकृत हैं। यानी हर जिले में भी आबादी के अनुपात में एक लाख की आबादी के हिसाब से पुलिस बल की संख्या होनी चाहिए। पुलिस के वरीय अधिकारियों की मानें तो धीमी भर्ती प्रक्रिया के साथ प्रोमोशन में देरी की वजह से संख्या बल को तय मानक तक पहुंचाना आसान नहीं है।
भागलपुर जिला पुलिस बल में 104 जवानों को पुलिस के वरीय अधिकारी से लेकर, विधायक, सांसद, न्यायाधीश की सुरक्षा के लिए लगाया गया है। कुछ मामलों में कोर्ट के आदेश पर वादी की सुरक्षा में भी जवान लगे हैं। सबसे ज्यादा 44 जवान विभिन्न नेताओं की सुरक्षा में लगे हैं। इसके अलावा डीएम, डीआईजी, एसएसपी, एसपी, डीडीसी समेत प्रशासनिक महकमे के अधिकारियों की सुरक्षा में 29 जवान की तैनाती की गई है।
कमी पूरा करने का हाे रहा प्रयास
एसआई व एएसआई की कमी जरूर है। इन पदों पर बहाली के लिए विभाग प्रयास कर रहा है। उपलब्ध संसाधन में जिले की पुलिस पूरी ताकत के साथ काम कर रही है। -आनंद कुमार, एसएसपी