लॉ कॉलेजों में दाखिले व संसाधनों की मांगी रिपोर्ट:राजभवन देगा हलफनामा कुलाधिपति ने तीन अप्रैल को वीसी की बैठक बुलाई;

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राज्य के लाॅ काॅलेजाें में नामांकन, संसाधन और शिक्षकाें की कमी काे लेकर दायर याचिका पर हाईकाेर्ट ने सुनवाई करते हुए राजभवन काे हलफनामा देने काे कहा है कि पिछली बार बताए गए सुधाराें में किन-किन का पालन हुआ। एक दिन पहले हुई सुनवाई में हालांकि राजभवन ने कुछ बिंदुओं पर मांगी गई जानकारी काेर्ट काे उपलब्ध कराई और अब अगली सुनवाई से पहले हलफनामा देने काे लेकर 3 अप्रैल काे कुलपतियाें की बैठक बुलाई है।

इस बैठक में विश्वविद्यालयाें से जुड़े अन्य मुद्दाें के साथ राज्यभर के लाॅ काॅलेजाें, विधि संस्थानाें की स्थिति की भी राजभवन रिपाेर्ट लेगा। इसके बाद काेर्ट में हलफनामा दिया जाएगा जिस पर काेर्ट में 10 अप्रैल या इसके बाद सुनवाई हाेगी। लाॅ काॅलेजाें में संसाधन की कमी की याचिका भागलपुर काेर्ट में प्रैक्टिस कर रहे और टीएनबी लाॅ काॅलेज के पूर्व छात्र कुणाल काैशल ने दायर की थी। पिछले साल इस पर सुनवाई करते हुए काेर्ट ने कई काॅलेजाें में दाखिले पर राेक लगा दी थी कुछ काे कमियां दूर करने की शर्त पर नामांकन लेने की छूट दी थी।

बैठक में बुनियादी सुविधाओं पर भी किया जाएगा विचार
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कुलाधिपति सचिवालय को यह बताने काे कहा था कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या-क्या सुधार किए गए और लॉ कालेजों में यूजीसी के मानक के तहत नेट या पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं। बताया गया कि राजभवन ने 3 अप्रैल काे कुलपतियाें की जाे बैठक बुलाई है उसमें प्राचार्य की बहाली, असिस्टेंट प्रोफेसर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या, बुनियादी सुविधाओं, एफिलिएशन पर विचार कर तब हलफनामा दिया जाएगा।

गाइडलाइन जारी होने के बाद भी नहीं हुआ सुधार
कुणाल काैशल के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि ज्यादातर लॉ कालेजों में प्रिंसिपल या शिक्षक यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते हैं। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने काउंसिल को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

अधिवक्ता ने काेर्ट काे बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है। बार काउंसिल के निर्देश और जारी की गई गाइडलाइन के बाद भी ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। सुनवाई अधिवक्ता रीतिका रानी के साथ बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत मिश्रा शामिल हुए।