प्रखंड के इंग्लिश गांव में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी माता काली का पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यहां भक्तों की काफी भीड़ लगती है यहां माता वैष्णो काली के मंदिर में बकरे की बलि नहीं दी जाती बल्कि भतुआ की बलि चढ़ाई जाती है। मंदिर के पुजारी मधुकर कुमार उर्फ लाला ने बताया की विगत 200 वर्षों से यहां माता काली की पूजा तांत्रिक विधि से की जाती है पूजा के साथ साथ मेले का आयोजन किया जाता है समिति के प्रबंधक निरंजन यादव अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि शुरुआत में मंदिर वर्तमान स्थिति से एक किलोमीटर पश्चिम में था जहां बम काली के रूप में मां की पूजा की जाती थी और पूजा के तौर पर बकरे की बलि दी जाती थी मान्यता है कि जमींदार स्व. काली प्रसाद गोप के सपने में मां आईं, और उन्होंने अपनी जमीन दान देकर मां के मंदिर का निर्माण कराया था।जिसके पश्चात माता काली का पूजा वैष्णो काली के रूप में किया जाने लगा जिसमें पूजा के तौर पर भतुआ की बलि दी जाती है। मेले में मुख्य रूप से महासचिव रणधीर यादव, राकेश आदि तथा सभी ग्रामीणों का सहयोग रहता है।
सबौर के इंग्लिश में 200 वर्षों से तांत्रिक विधि से होती है मां वैष्णो काली की पूजा;
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]