एनएमसी की गाइड लाइन पर जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज ने गरीबों को मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने की कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत कॉलेज के 600 एमबीबीएस छात्र जवारीपुर और सबौर सहित पांच क्षेत्रों के तीन हजार गरीब परिवारों को गोद लेंगे। ये छात्र जिन परिवारों को गोद लेंगे उनके सदस्यों का पूरा मेडिकल ब्योरा अपने पास रखेंगे। साथ ही माह में दो बार ऐसे परिवारों के घर जाकर उनके स्वास्थ्य की जांच करेंगे तथा सेहत संबंधी कोई समस्या होने पर मौके पर उसका इलाज बताएंगे।
गंभीर समस्या होने पर ऐसे परिवारों को मेडिकल कॉलेज में उपचार की सलाह देंगे। दरअसल, यह योजना नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की बनाई गाइडलाइन के तहत शुरू की गई है। ताकि छात्रों को इलाज के साथ शोध में मदद मिल सके। इससे मेडिकल कालेज के पास विभिन्न इलाकों में होने वाली बीमारियों का एक डाटा भी तैयार हो जाएगा। इससे स्वास्थ्य संबंधी योजना बनाने में सरकार को मदद मिलेगी। जिले में यह योजना जवारीपुर क्षेत्र से शनिवार को शुरू की गई। इसके बाद सबौर में इस अभियान को चलाने की योजना है।
जवारीपुर से शुरू हुई योजना, माह में दो बार ऐसे परिवारों की करेंगे जांच
प्रोफेसर डॉ. कामरान फजल ने बताया कि कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के समन्वय से इस योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है। कॉलेज ने इस योजना को जवारीपुर क्षेत्र से शुरू किया है, जहां अब तक 120 मेडिकल के छात्र-छात्राओं ने 600 परिवारों से संपर्क किया है। छात्रों ने शनिवार को इस क्षेत्र का दौरा किया। एक बैच में 120 छात्र-छात्राएं शामिल हैं।
कुपोषण सहित एमडीआर के मिल रहे हैं मरीज
कॉम्युनिटी मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर डॉ. कामरान फजल ने बताया कि एक बैच के स्टूडेंट्स ने जवारीपुर क्षेत्र में संपर्क कर योजना के पहले चरण को पूरा कर लिया है। क्षेत्र में कुपोषण व मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी के केस मिले हैं। हालांकि, मायागंज से परिवार उपचार करा रहे हैं। लेकिन मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी के केस में परिवार के अन्य सदस्यों को भी प्रोफाइलएक्टिक थैरेपी या दवा लेनी पड़ती है। जिससे इस बीमारी के फैलाने का खतरा नहीं रहता है। गोद लिए गए परिवार का स्पेशल कार्ड बनाया जा रहा है, जिससे मेडिकल कॉलेज में उपचार होगा।