जिला का इस्माइलपुर प्रखंड सूबे का पहला माॅडल ओडीएफ प्लस प्रखंड बन गया है। इसका घाेषणा पंचायत स्तर पर की गई है। अब प्रखंड के हर घर में शाैचालय व डस्टबिन की सुविधा है। कचरा प्राेसेसिंग यूनिट है। उसे बेचकर कमाई भी की जा रही है। इसका आकलन स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के पाेर्टल पर इंट्री डाटा के हिसाब से किया गया है।
इसमें बिहार में छह प्रखंड ऐसे हैं, जहां 10 या उससे कम गांव है। उनमें से सिर्फ इस्माइलपुर प्रखंड में ही ओडीएफ प्लस के तहत हाेनेवाले काम पूरे किए गए हैं। जबकि ज्यादातर में 50 फीसदी भी काम पूरा नहीं हाे सके हैं। सूबे में 534 प्रखंड हैं। इनमें से सबसे छाेटा प्रखंड पश्चिमी चंपारण का पिपरासी है, जहां केवल सात गांव है। लेकिन वहां भी अब तक काम पूरा नहीं हाे सका है।
90 दिन के अंदर जिला स्तर से इसका सत्यापन किया जाएगा
हर घर से उठ रहा कचरा, प्राेसेसिंग यूनिट में हाे रहा इसका निपटारा
ओडीएफ प्लस मॉडल के तहत गांव के हर घर में शौचालय की सुविधा जरूरी है। स्कूल, आंगनबाड़ी और पंचायत भवन में महिला व पुरुष के लिए शौचालय, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तरल अपशिष्ट प्रबंधन, गंदगी का ढेर न हो और गांव साफ-सुथरा रहे। इस मानक पर इस्माइलपुर प्रखंड खरा उतरा है। इस्माइलपुर प्रखंड में 5 पंचायत और 8 गांव हैं। पंचायतों की ओर से सभी 8 गांवाें काे ओडीएफ प्लस मॉडल गांव घोषित किया गया है।
प्रखंड के 9 हजार घराें में दिये गए हैं डस्टबिन
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के जिला समन्वयक निशांत रंजन ने बताया कि तरल अपशष्टि प्रबंधन के तहत 105 सामुदायिक सोख्ता गड्ढे, 11 आउटलेट चेंबर और एक जंक्शन चेंबर का निर्माण कराया गया है। 120 मानव बल प्रखंड में स्वच्छता का काम कर रहा है। करीब 9 हजार घराें काे डस्टबिन दिया गया है।