हीरा प्रसाद “हरेन्द्र” – Heera Prasad “Harendra”

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अंगिका के महाकवि आरो अवकाश प्राप्त कुशल प्रधानाचार्य श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र जी के जन्म ६ सितम्बर १९५० क भागलपुर (बिहार) के सुल्तानगंज प्रखंड अंतर्गत कटहरा मेँ होलै | हिनी शिक्षण करते हुए लगातार अंगिका भाषा के सेवा में लागलौ रहलै | हिनको पहिलो अंगिका काव्य संकलन “उत्तंग हमरो अंग” प्रकाशित होलै आरो तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल होलै तहिया से आय तक नौ (९) महत्वपूर्ण प्रबंध काव्य कृति प्रकाशित होलै | श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र जी के निधन 16 मई 2024 केॅ हो गेलै।  हिनको शिक्षा दीक्षा स्थानीय शैक्षणिक संस्थानों में ही होलै।  हुनी पेशा सेॅ स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक रहै। सरकारी सेवा सेॅ अवकाश ग्रहण के बाद, सुल्तानगंज में अपनो आवास नया घोॅर बनाय केॅ साहित्यिक गतिविधि में बनलोॅ रहलै।

Heera Prasad Harendra

हीरा प्रसाद “हरेंद्र”

जन्म : 6 सितम्बर, 1950, कटहरा, सुल्तानगंज

निधन : 16 मई, 2024 

एकरो अलावा हिनी “के करतै तकरार” अंगिका ग़ज़ल संग्रह आरो अन्य दर्जन भर काव्य संकलन, नाटक आरो उपन्यास रची के अंगिका भाषा के उच्च शिखर पर स्थापित करलकै|

श्री हरेंद्र जी मजबूत छंद में इकठ्ठा तीन – तीन अंगिका महाकाव्य लिखै वाला एकलौता साहित्यकार के रूप में स्थापित होलै|

युवाकाल से ही हुनको शौक नाटक, कीर्तन, गीत-भजन में जादे रहै। हुनका मेॅ  कोय भी विषय के तथ्य इकट्ठा करै रो जिद्द रहै। हुनी शब्दों के जादूगर रहै। शुद्धता के प्रतीक रहै। अपनो गांव कटहरा मेॅ हुनी हीरा मास्टर के नाम सेॅ प्रचलित रहै। 

अक्सर वे गांव के साहित्यिक सांस्कृतिक आरो धार्मिक कार्यक्रमों मेॅ बढ़ी-चढ़ी केॅ भाग लेतेॅ रहलै। आपनो गीत आरो व्यंग्य वाण सेॅ लोगों के मन  मोहते रहलै। 

हीरा प्रसाद हरेंद्र जी केॅ तीन बेटी आरो एक बेटा होलै। तीन बेटी में सबसे छोटकी बुलबुल कुमारी छै जौने कि  हरदम बापो के सेवा आरु साहित्यिक गतिविधि के सहयोगी रहलै। एक दू पुस्तक के संकलनकर्तृ भी बनली।  बेटा, प्रवीन कुमार प्रणव (नटवरलाल) जी के बीहा  मधु कुमारी से होलै। मधु बिहार सरकार के स्वास्थ्य केन्द्र में सरकारी सेवा दे रहली छै। हीरा हरेंद्र का दुलरुआ पोता और तकनीकी सहयोगी नितीक रंजन आज्ञाकारी बनी के साथ देतेॅ रहलै।

हुनी अपनोॅ जीवन काल में हिंदी आरो अंगिका के लगभग दू दर्जन किताबोॅ के प्रकाशन करलकै। जै मेॅ नाटक, गजल संग्रह, काव्य संग्रह, संस्मरण, भावांजलि, दोहा संकलन के अलावे महाकाव्य, खंडकाव्य, प्रबंध काव्य रो बात करलोॅ जाय तेॅ

 “राधा” अंगिका प्रबंध काव्य, “तिलकामांझी” अंगिका महाकाव्य, “शंबूक” अंगिका खंडकाव्य, “धनु बाबा” अंगिका प्रबंध काव्य, “निष्कलंकिनी” अंगिका खंडकाव्य, “महर्षि मेंँहीॅ” अंगिका  महाकाव्य, “बाबा अनंत दास” खण्ड काव्य, “सरदार पटेल” अंगिका खंडकाव्य का प्रकाशन करलके।  हरेन्द्र जी चार-पाँच पत्र-पत्रिकाओं के भी सफल संपादन करलकै। हुनको कई किताब तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातक आरु स्नातकोत्तर अंगिका विभाग के पाठ्यक्रम में शामिल छै।

हीरा प्रसाद हरेंद्र जी एक जनप्रिय हास्य व्यंग के कवि रहै आकाशवाणी आरो दूरदर्शन सेॅ उनकर रचना के प्रसारण लगातार होते रहलै। हरेंद्र जी जोन भी मंच पर जाय रहै,  तेॅ सुनबैया के धियान उनकर प्रस्तुति पर टिकलोॅ रहै छिलै। हुनका रचनाएं प्रायः कंठस्थ याद रहै छिलै। दर्शक चाहे कोय भी मूड में कहिंने न रहे, उनकर रचना सेॅ गुदगुदाबै के बगैर नै रहे पारे।  हुनी ढेर दिना तांय अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय महामंत्री रहलै। उनको लिबास , एक सफेद धोती, हाफ कुर्ता आरो गल्ला में एक तौलिया जरूर लपेटलोॅ रहै छिलै।  हम्में कहे पारै छी कि  अंगिका के नूर, मशहूर कविवर हीरा प्रसाद हरेंद्र जी, मंच के हीरो रहै।

श्री हीरा प्रसाद "हरेंद्र" की रचनाएँ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

हीरा प्रसाद "हरेंद्र" जी की कृतियाँ

1. उत्तंग हमरो अंग (अंगिका काव्य संकलन)
2. संस्मरण चक्र (हिंदी संस्मरण)
3. उद्वेलित उद्दगार (हिंदी काव्य संकलन)
4. बहिष्कार (अंगिका एकांकी)
5. सोना के दाँत (अंगिका काव्य संकलन)
6. ठकहरा (अंगिका एकांकी)
7. के करतै तकरार (अंगिका ग़ज़ल संग्रह)
8. राधा (अंगिका प्रबंध काव्य)
9. तिलका मांझी (अंगिका महाकाव्य)

10. शंबूक (प्रबंध काव्य)
11. धन्नू बाबा (प्रबंध काव्य)
12. भावांजलि (कुण्डलिया एवं दोहे संकलन)
13. स्वाबलंबी बालिकाएँ (हिंदी एकांकी संकलन)
14. कारूदास (उपन्यास)
15. निष्कलंकिनी (खंडकाव्य)
16. महर्षि मेँहीँ (महाकाव्य)
17. लौहपुरुष पटेल (प्रबंध काव्य)
18. गुलसिताँ (ग़ज़ल संग्रह)
19. बाबा अनंतदास (महाकाव्य)

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