अंग-बंग की संस्कृति संग दिखेंगे सात रंग;

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जिले में रंगों का पर्व होली में सात रंग दिखेंगे। हर समाज की ओर से अलग-अलग ढंग से होली मनायी जाती है। यहां स्थानीय रंग के साथ राजस्थानी परंपरा के साथ अंग-बंग की संस्कृति भी दिखाई पड़ती है। वहीं पंजाबी, जैन, आदिवासी और पछियारा होली भी खेली जाती है।

भीखनपुर की मधु देवी झुनझुनवाला ने बताया कि भागलपुर में वर्षों से राजस्थानी परंपरा निभाई जा रही है। होलिका दहन से पहले गोबार से बड़कुल्ला बनाया जाता है। बड़कुल्ला बनाने वक्त बच्चों व देवताओं की खुशी भी देखी जाती है। बच्चों के लिए खिलौना तो देवताओं के लिए पान, सुपाड़ी, नारियल आदि बनाया जाता है। राजस्थान का प्रतीक के रूप में तलवार, ढ़ाल, कृपाण आदि तैयार किये जाते हैं। इस दौरान सबसे अंतिम में होलिका का प्रतीक चिह्न बनाया जाता है। होलिका दहन के दिन सारे बड़कुल्ला को हल्दी, रोली, राख, सिदूर से सजाकर पूजा की जाती है। उसके बाद उसे अग्नि में डाली जाती है। उन्होंने बताया कि होलिका दहन के दिन बड़कुल्ला जलाने से घर में सुख-शांति आती है।