हर रोज भागलपुर रेलवे यार्डों में उपयोग होने वाले 7 लाख लीटर पानी को फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट की शुरुआत मई माह से हो जाएगी। यह प्लांट 45 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है। यह पूर्वी भारत का पहला अत्याधुनिक वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट है। आईओडब्ल्यूओ ललन कुमार ने बताया कि रेलवे यार्ड में हर रोज 5 से 7 लाख लीटर पानी ट्रेनों की धुलाई और टंकियों को भरने में खर्च होता है।
डब्ल्यूपीओ के सीनियर टेक्नीशियन ने बताया कि भोलानाथ पुल के पास वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट को राजेंद्रनगर टर्मिनल की तर्ज पर बनाया जा रहा है। यह प्लांट 250 स्कवायर मीटर में तैयार किया जा रहा है। इसमें कुल 12 टंकियां हैं। मशीनें 15 अप्रैल तक इंस्टॉल कर दी जाएंगी। यह प्लांट ग्रीन जोन बनाने की योजना में सहायक होगा। यार्ड में ऑटोमेटिक ट्रेन वाशिंग प्लांट स्थापित किया जा चुका है।
वहीं, भागलपुर रेलवे कोचिंग कॉम्प्लेक्स में एलएचबी कोच के रखरखाव के लिए हाईटेक यार्ड, पीट लाइन निर्माण का काम दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। 2019 से 45 करोड़ की लागत से हाईटेक यार्ड का निर्माण किया जा रहा है। जिसका 85 फीसदी कार्य पूरा कर लिया गया है।
एक घंटे में 100 क्यूसेक लीटर पानी होगा रिसाइकिलिंग
डब्ल्यूपीओ के सीनियर टेक्नीशियन जितेंद्र कुमार ने बताया कि प्लांट को राजेंद्रनगर टर्मिनल की तर्ज पर बनाया जा रहा है। इसके दीवारों पर जलीय जीवों का चित्रण भी किया जाएगा। प्लांट में लगी मशीन की रिसाइकिलिंग की क्षमता 100 क्यूसेक लीटर प्रति घंटा है। यार्ड में ऑटोमेटिक वाशिंग मशीन, सब स्टेशन, आिद का काम पूरा कर लिया गया है।
“वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट का आधारभूत संरचना तैयार हो गया है। प्लांट से जुड़ी मशीनें भी आ गई हैं। इसे मई तक चालू कर दिया जाएगा। वहीं अभी पूरे यार्ड का 85 % काम पूरा कर लिया गया है। दिसंबर तक यह बनकर तैयार हो जाएगा।”
– सत्येंद्र कुमार तिवारी, सीनियर डीईएम मालदा डिवीजन