भागलपुर के किसान अब अपने खेतों को समतल कर खेती करेंगे। इस विधि से खेती कर वे न सिर्फ अपनी लागत को कम करेंगे, बल्कि 15 फीसदी तक उत्पादन भी बढ़ा सकेंगे। मौसम अनुकूल खेती योजना के तहत यह प्रयास फिलहाल धान (खरीफ) की खेती के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किया जा रहा है। इसे अन्य जिलों में बीएयू अपने केवीके के माध्यम से चलायेगा।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर में फिलहाल 138 एकड़ खेत में इस तरीके से खेती कराएगा। इसके लिये गोराडीह के पांच गांव लॉगांए, दामुचक, तरछा, गोरड़ा, कासिमपुर को चयनित किया गया है। इसमें एक किसान का अधिकतम एक एकड़ से अधिक खेत नहीं लिये जायेंगे। इस तरह जिले के 150 से अधिक किसानों को इस योजना का लाभ मिलने की उम्मीद है।
हर जगह एक समान पहुंचेगा पानी;
इसमें लेजर लैंड लेवर मशीन द्वारा खेतों को समतल किया जायेगा। इसमें ऊबड़ खाबड़ खेत बराबर हो जाता है। यह इस ढंग से बराबर हो जायेगा कि इसमें हर जगह एक समान पानी रहेगा। पोषक तत्व हर जगह बराबर मात्रा में पहुंचेंगे और एक समान फसल होगी। फसल का जमाव और परिपक्वता एक समान होगी। इसमें 20 से 22 फीसदी तक पानी की बचत भी होती है।
सीधी बुआई से होगी खेती;
इस योजना के तहत खेतों को समतल कर सीधी बुआई से धान की खेती होगी। इसमें केवीके शुरू से लेकर अंत तक यानी फसल की कटाई तक किसानों की मदद करेगा। इसमें किसानों से कोई राशि नहीं ली जायेगी। शोध सहयोगी डा. आशीष चौरिसया ने बताया कि इसमें लेजर लैंड लेवलर मशीन से समतल किया जायेगा। इसमें कटाई तक की जिम्मेवारी केवीके की ही होगी। इसमें केवीके किसानों को बीज, दवा, जैव उर्वरक नि:शुल्क उपलब्ध कराएगा। इसकी निगरानी भी केवीके के वैज्ञानिक करेंगे।
इस कार्यक्रम के माध्यम से पानी, उर्जा व समय की बचत होगी। लागत कम होगी और उत्पादन भी अधिक होंगे। इसमें किसानों को कई तरह से सीधे लाभ होगा। अन्य किसान भी इसे कर सकते हैं। इसमें किसानों से कुछ नहीं लिया जा रहा है। इसे 2019 के अंत में शुरू किया गया था। लेकिन कोरोना के कारण किसान इसमें ज्यादा जागरूक नहीं हो सके। इसलिये इसे अब काफी प्रचार-प्रसार करके किया जा रहा है।
डा. आरके सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा, बीएयू, सबौर