भागलपुर। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत भागलपुर और बांका जिला में सात लाख 51 हजार 232 किसानों ने आवेदन किया है, जिसमें अधिकारियों ने लगभग 2.75 लाख आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया है। इतने बड़े पैमाने पर आवेदन अस्वीकृत किए जाने की बात सामने आने पर प्रमंडलीय आयुक्त दयानिधान पांडेय भी चकित रह गए।
साथ ही बड़े पैमाने पर आवेदन लंबित होने की बात भी सामने आई। प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि दोनों जिले के कृषि पदाधिकारी अस्वीकृत और लंबित आवेदनों के दो प्रतिशत आवेदन की रेंडम जांच करेंगे। वहीं, प्रखंड कृषि पदाधिकारी पांच प्रतिशत आवेदनों की जांच करेंगे। जांच में इस बात की पड़ताल करेंगे कि कहीं जानबूझ कर आवेदनों को अस्वीकृत तो नहीं किया गया। आवेदन लंबित रखने का कारण अधिकारियों की लापरवाही तो नहीं है।
प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि जांच प्रतिवेदन अनिवार्य रूप से आयुक्त कार्यालय को उपलब्ध कराएंगे। जांच रिपोर्ट में गलत मंशा से आवेदन को लंबित रखने या अस्वीकृत किए जाने की बात सामने आने पर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। प्रमंडलीय आयुक्त बुधवार को कृषि विभाग की समीक्षा बैठक कर रहे थे। समीक्षा बैठक में दोनों जिले के कृषि पदाधिकारी, उपनिदेशक शष्य, प्रमंडलीय आयुक्त के सचिव आदि मौजूद थे।
प्रमंडलीय आयुक्त ने अधिकारियों से कहा कि कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में पूरी तरह से पारदर्शिता बरतें। फसलों के सीजन में अक्सर उर्वरक की किल्लत की बात सामने आती है। अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दें। भागलपुर में उर्वरक के चार सौ खुदरा विक्रेता हैं। खुदरा उर्वरक विक्रेताओं को थोक विक्रेताओं की ओर से उर्वरक मुहैया कराए जाते हैं।
ऐसे में अभी से दोनों जिले के कृषि पदाधिकारी अपने अपने जिला के थोक विक्रेताओं की जांच करेंगे। उन्हें कितना उर्वरक उपलब्ध हुआ, थोक विक्रेताओं ने किस खुदरा विक्रेता को कितनी मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराए, इसकी जांच प्रखंड कृषि पदाधिकारी और अनुमंडल कृषि पदाधिकारी करेंगे। जांच के दौरान जिला में उर्वरक के डिमांड का आकलन कर लें। उसी आधार पर उर्वरक का समय से डिमांड करें, ताकि अन्नदाता को उर्वरक की कमी नहीं हो।