वित्तरहित शिक्षाकर्मियों ने संबद्ध कॉलेजों को अविलंब अनुदान राशि का भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में आमरण अनशन और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। इसको लेकर विश्वविद्यालय एफिलेटेड प्राचार्य एवं शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के बैनर तले मंगलवार को धरना भी दिया गया। साथ ही मांगों का एक ज्ञापन कुलपति के नाम प्रतिकुलपति को सौंपा।
विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित धरना में वित्तरहित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष डॉ. सलाउद्दीन अहसन ने कहा कि शिक्षा विभाग ने 14 मार्च और 30 मार्च 2022 को शैक्षणिक सत्र 2011-14 और 2012-15 के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में ही तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अधीन सभी वित्त संपोषित डिग्री कॉलेजों के लिए अनुदान राशि विमुक्त कर दी है। पत्र में अंकित निर्देश के अनुसार यह राशि 15 दिनों के अंदर ही सभी वित्तरहित कॉलेजों को उपलब्ध करा दिया जाना था। बावजूद इसके ढाई माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी वित्तरहित कॉलेजों को अनुदान राशि का भुगतान नहीं किया गया है। कहा कि इस बीच महासंघ के शिष्टमंडल ने कई बार विवि अधिकारियों से मिलकर समस्या से अवगत कराया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। महासंघ के सचिव डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा कि बार-बार के आश्वासन और संचिकाओं के निष्पादन की धीमी गति के कारण अनुदान राशि का भुगतान नहीं होने से अब वित्तरहित शिक्षकों और कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कई साल से बिना भुगतान के काम करते रहने से वित्तरहित कॉलेजों के शिक्षाकर्मियों की आर्थिक स्थिति बदहाल हो गई है। धरना में मौजूद वित्तरहित शिक्षाकर्मियों ने 30 मई तक हर हाल में अनुदान राशि की भुगतान की मांग की। यह भी कहा कि भुगतान नहीं होने पर सत्याग्रह, तालाबंदी आदि आंदोलन चलाया जाएगा। बात नहीं बनी तो आमरण अनशन भी किया जाएगा। मौके पर रामजीवन सिंह, आनंद मिश्रा, डॉ रेखा सिंघानिया, मो. नईमुद्दीन, अर्जन प्रसाद सिंह, डॉ. तनवीर, सुनीता पांडेय, सुमन कुमारी, सुजाता कुमारी, सकलदेव मंडल, दीपक सिंह, मनटुन यादव सहित कई वित्त रहित शिक्षाकर्मी भी मौजूद रहे।
धरना स्थल पर पहुंचे प्रोवीसी-कुलसचिव ने दिया आश्वासन;
वित्तरहित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों के धरना की सूचना पर प्रोवीसी प्रो. रमेश कुमार, कुलसचिव निरंजन प्रसाद यादव, कॉलेज निरीक्षक डॉ. संजय झा और प्रो. रंजना धरनास्थल पर पहुंचीं। संघ ने उन्हें मांगों का ज्ञापन सौंपा। इसमें अनुदान राशि के अविलंब भुगतान के अलावा पीएचडी कराने के लिए संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों को अनुमति देने और नामांकन में सीट वृद्धि का प्रस्ताव सरकार को भेजने की भी मांग की गई। दोनों पक्षों के बीच मांगों पर लंबी वार्ता के बाद अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि 30 मई तक अनुदान राशि का भुगतान करने का प्रयास किया जाएगा।