तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के आंबेडकर विचार विभाग के दरबान डॉ. कमल किशोर मंडल आखिरकार अपने ही विभाग में सहायक प्राध्यापक बने गये। इस संबंध में बुधवार को कुलपति प्रो. जवाहर लाल के आदेश पर कुलसचिव गिरिजेश नंदन कुमार ने आदेश जारी कर दिया।
डॉ. कमल किशोर मंडल की उपलब्धि को हिन्दुस्तान ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी। राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित होने वाली इस खबर को कुलपति ने हाथोंहाथ लिया और कहा था कि किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा। भागलपुर लौटने के बाद बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया। डॉ. कमल गुरुवार को विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में योगदान देंगे।
जानकारी हो कि कमल किशोर मंडल आंबेडकर विचार विभाग में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं। वह वहां दरबान के रूप में कार्यरत रहते हुये पीजी और पीएचडी की। बाद में उसी विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में बिहार राज्य विवि सेवा आयोग से चुनकर आये। लेकिन उनकी काउंसिलिंग के पहले ही उनपर तत्कालीन रजिस्ट्रार ने यह कहकर रोक लगा दी कि उन्होंने विभाग में कार्य करते हुये पीजी और पीएचडी कैसे कर लिया। क्या विवि ने उन्हें ऐसा करने के लिये अनुमति दी थी। यह मामला वर्तमान कुलपति के पास पहुंचा तो उन्होंने एक कमेटी गठित कर दी। डीएसडब्ल्यू डॉ. रामप्रवेश सिंह के नेतृत्व में कमेटी गठित हुई और जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जिसमें कहा गया था कि कमल किशोर मंडल पीजी और पीएचडी का कोर्स विवि से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद किया था। कुलपति ने बुधवार को रिपोर्ट देखने के बाद उनकी नियुक्ति करने का आदेश जारी कर दिया गया।
आदेश पत्र में कहा गया है कि वह योगदान की तिथि से दो वर्ष तक प्रोबेशन अवधि में रहेंगे। यह भी निर्देशित किया गया है कि योगदान के 15 दिन के अंदर वह अपने योगदान पत्र और सभी आवश्यक प्रमाणपत्रों की फोटो कॉपी स्व हस्ताक्षर करके विभागाध्यक्ष या विभाग में जमा कर दें।
पद से दिया स्तीफा
विभागाध्यक्ष डॉ. विलक्षण रविदास ने कहा कि इस आदेश के बाद डॉ. कमल ने बुधवार को दरबान के पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। गुरुवार को वह सहायक प्राध्यापक के रूप में विभागाध्यक्ष को रिपोर्ट करेंगे।
नाइट गार्ड के रूप में थे कार्यरत, दिन में करते थे क्लास
कमल किशोर ने बताया कि वह 2003 में डीजे कॉलेज मुंगेर से भागलपुर आये थे। उनकी पोस्टिंग टीएमबीयू के आंबेडकर विचार विभाग में हुई। वहां वह नाइट गार्ड के रूप में कार्यरत थे और दिन में क्लास करते थे। पढ़ाई के लिये उन्होंने तत्कालीन कुलसचिव से अनुमति भी ली है। उन्होंने विभाग से पीजी और पीएचडी की। उन्होंने राजनीतिविज्ञान विभाग से 2018 में नेट भी क्वालिफाई कर लिया है। वह जब सहायक प्राध्यापक के रूप में योगदान करने विवि पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि अभी मामले की चार सदस्यीय कमेटी से जांच होगी उसके बाद वह योगदान कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कोर्स की पढ़ाई के लिये उन्होंने विवि को सूचना दी और अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया है।