नगर निगम में लगभग 80 हजार होल्डिंगधारकों को अगले कुछ महीने में ऑनलाइन टैक्स भुगतान की सुविधा मिलेगी। इसके लिए सॉफ्टवेयर और मॉड्यूल तैयार हो गया है। अब डाटा फीडिंग का काम होना है। नगर निगम के लिए यह काम स्मार्ट सिटी कंपनी के द्वारा कराया जा रहा है। कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के लिए मास्टर सिस्टम के साथ-साथ नगर निगम की इन सुविधाओं के लिए भी मॉड्यूल तैयार किया गया है। यह सुविधा शुरू हो जाने से शहरवासियों को काफी सुविधा हो जाएगी। लोग अपना होल्डिंग टैक्स अपने स्मार्ट फोन से भी कर सकेंगे। अभी बिजली उपभोक्ताओं के लिए यह सुविधा उपलब्ध है।
नगर निगम में ऑनलाइन टैक्स भुगतान की सुविधा के लिए दावे कई बार किए गए लेकिन सतह पर कुछ नहीं हुआ। हालात ऐसे हैं कि नगर निगम के कंप्यूटर में होल्डिंग का रिकार्ड तक नहीं। यहां तहसीलदार के पास जो एक फाइल है वही सबकुछ है। अगर तहसीलदार न मिले तो कोई व्यक्ति निगम कार्यालय पहुंचकर भी टैक्स भुगतान नहीं कर सकते हैं। नतीजा यह है कि अंचल में ऑनलाइन लगान जमा करने की व्यवस्था शुरू हो गई है लेकिन भागलपुर नगर निगम में अभी तक तहसीलदार ऑफलाइन रसीद काट रहे हैं।
नगर विकास विभाग ने 2009 में पहली बार इस व्यवस्था की बात की थी। योजना के अनुसार होल्डिंग टैक्स सिस्टम को ऑन लाइन कर कर दाताओं को बैंक या इंटनेट बैंकिंग के माध्यम से टैक्स जमा करने की सुविधा दी जानी थी। लिहाजा इसके लिए एक टेक्नीकिल एजेंसी से सॉफ्टवेयर तैयार कराया गया। सभी होल्डिंग धारकों का नाम, पता, होल्डिंग का पूरा ब्योरा, जमीन या मकान का क्षेत्रफल, टैक्स की बकाया राशि और टैक्स का रेट दर्ज किया जाना था। कुछ डाटा इंट्री करायी गई और टैक्स जमा लेने के लिए शहर के 10 बैंकों से बातचीत भी की गई थी। लेकिन तमाम तैयारी धरी की धरी रह गई। निगम के कर्मचारी बताते हैं कि टैक्स शाखा डाटा इंट्री ही नहीं करा सका। टैक्स शाखा के कर्मचारियों का कहना है कि ई मुन्सपल्टी पर टैक्स सिस्टम को ऑनलाइन करने के लिए हर होल्डिंग धारकों से सेल्फ एसेस्मेंट फार्म भराना था और उसे ई मुन्सपल्टी साइट पर ऑनलाइन फीड करना था। लेकिन 37 हजार होल्डिंग धारकों से ही सेल्फ एसेस्टमेंट हो सका। इसकी वजह से यह प्रक्रिया रुकी रही। नतीजा यह है कि कर भुगतान के लिए अधिकांश लोगों को तहसीलदारों को खोजना पड़ता है। वरना वे जनगणना, बीएलओ ड्यूटी, राशन कार्ड आवेदन का सत्यापन सहित ढेरों कामों का व्यौरा देकर नियमित नहीं घूमते। अभी स्थिति यह है कि टैक्स जमा कराने वाले लोग तहसीलदार को खोजते चलते हैं। कई लोग नगर निगम दफ्तर में आकर तहसीलदार से रसीद कटाते हैं। इधर स्मार्ट सिटी कंपनी में मास्टर सिस्टम का काम कर रही एजेंसी के इंजीनियर का कहना है कि अब मॉड़्यूल तैयार है। डाटा फीडिंग के साथ-साथ ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद ऑनलाइन टैक्स भुगतान लोग कर सकेंगे। स्मार्ट सिटी कंपनी के पीआरओ पंकज कुमार ने बताया कि मास्टर सिस्टम पर चयनित एजेंसी काम कर रही है और वरीय अधिकारी उसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
होल्डिंग धारकों की परेशानी
समय पर भुगतान नहीं करने से 16 प्रतिशत के दर से ब्याज लगता है। नई गणना और होल्डिंग टैक्स का दर लागू होने के बाद अब हर होल्डिंगधाराकों को अच्छी रकम बतौर टैक्स जमा करना पड़ता है।
ऑनलाइन होल्डिंग सिस्टम का लाभ
टैक्स जमा करने के लिए तहसीलदारों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा
टैक्स रसीद में जो वास्तविक राशि होगी वही जमा करना होगा, कथित नजराना से निजात
एक क्लिक में ही टैक्स की पूरी जानकारी मिल सकती है
मोबाइल, कंप्यूटर, बैंक, एटीएम किसी माध्यम से भुगतान कर सकते हैं
जो शहर में नहीं हैं वह भी होल्डिंग टैक्स भुगतान कर सकते हैं
नगर निगम की आय भी बढ़ेगी
नगर निगम में कर्मचारियों पर काम का बोझ घटेगा