भागलपुर। स्थानीय कलाकेंद्र में पं. रामप्रसाद विस्मिल, असफाक उल्लाह खान और ठाकुर रौशन सिंह के शहादत दिवस पर एक संगोष्ठी और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था ‘साझी शहादत-साझी विरासत। संगोष्ठी की अध्यक्षता उज्जवल घोष ने तथा संचालन उदय ने किया।
उदय ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास का स्तम्भ है। अंग्रेजी हुकूमत से आजादी की लड़ाई लम्बे समय तक चली है, जिसके तीन महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई का अंतिम पड़ाव महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह फेज व्यवस्थित तरीके से लड़ा गया और हमें आजादी मिली। आजादी की लड़ाई में सभी जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय, भाषा, संस्कृति के लोग शामिल हुए, तब आजादी मिली। पं. रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान और ठाकुर रौशन सिंह का एक साथ फांसी पर चढ़ना साझी शहादत की बड़ी मिसाल है।
इस अवसर पर कपिलदेव कृपाला ने शहीदों को याद करते हुए गीत, तेरे समान ए शहीद वीर है कहां, तेरे सपने देश के साकार हुए कहां… कविता का पाठ किया। एनुल होदा ने कहा कि जिस देश के लिए क्रांतिकारियों ने अपनी शहादत दी उसी देश में उनके मूल्यों का विरोध होने लगा है। उनकी साझी शहादत को झूठा बनाया जा रहा है। गौतम बनर्जी ने कहा कि आज देश में आजादी के आंदोलन को ही झूठा करार दिया जा रहा है। आजादी के मूल्यों को ही समाप्त करने की कोशिश है। इस अवसर पर मनोज मीता, देवाशीष बनर्जी, मनोज कुमार, जयनारायण, अनिरुद्ध, बाकिर हुसैन, संतोष कुमार, जगतराम साह कर्णपुरी, डॉ अशोक कुमार यादव, डॉली, सुषमा आदि मौजूद थे।