शहर के प्लानिंग एरिया काे स्वीकृति मिलने के बाद अब उसके विकास का खाका तैयार करने पर भी काम शुरू हाे गया है। इससे पहले शहर के विकास के लिए बने दाे मास्टर प्लान से मिलाकर बढ़े हुए क्षेत्रफल में विकास का काम हाेगा। अब शहर का दायरा 30.5 वर्ग किलाेमीटर से बढ़कर 218 वर्ग किलाेमीटर हाे गया है। सबौर, नाथनगर, जगदीशपुर और गोराडीह के 262 गांवों काे भी प्लानिंग एरिया में शामिल किया गया है।
राज्य कैबिनेट से प्लानिंग एरिया काे स्वीकृति भी मिल चुकी है। अब आगे के विकास के लिए उत्तर प्रदेश की एजेंसी एक्सल जियोमेटिक्स काे नया मास्टर प्लान बनाने का काम मिला है। दाे सदस्यीय इंजीनियरिंग टीम ने निगम प्रशासन से मिलकर 2011 में हुए जनगणना के आधार पर डाटा कलेक्ट किया है। इसके अनुसार एजेंसी 20 साल आगे का प्लान तैयार करेगी।
प्लानिंग एरिया काे चार हिस्सों में बांटकर 25-25 इंजीनियरों की टीम काे भौतिक सत्यापन के लिए भेजा जाएगा। वे तमाम तरह की नागरिक सुविधाओं का आकलन करेंगे। इसके बाद फाइनल प्लान बनाकर नगर सरकार काे दिया जाएगा। वह उसे नगर विकास विभाग काे स्वीकृति के लिए भेजेगी। 2007-12 के बीच टहल एजेंसी ने मास्टर प्लान बनाया था पर सरकार से स्वीकृत नहीं हुआ था।
इसके बाद बुडको ने अर्बन प्लान बनाया था। एजेंसी इन दोनों मास्टर प्लान काे भी नए काम का आधार बना रही है। इंजीनियरों की टीम ने निगम के कर्मचारियों से मिलकर शहर में मिल रही सुविधाओं का डाटा लिया है। 15 फरवरी काे नगर आयुक्त के साथ इस विषय पर बैठक होगी।
अभी शहर में मिल रही ये सुविधाएं, नए काम भी चल रहे
सफाई : 1200 मजदूरों से 51 वार्डों में साफ-सफाई की जाती है। एक कचरा ट्रांसफर स्टेशन भी लगभग तैयार हाे गया है।
जलापूर्ति : पुराने वाटर वर्क्स से 10 एमएलडी पानी 12 वार्डों में दिया जा रहा है। नए प्लांट से 79 हजार घरों काे पानी दिया जाएगा।
ड्रेनेज : शहर में 42 हथिया नाले का पानी सीधे गंगा में बहाया जाता है। अब नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है।
हरियाली : शहर के पार्कों के अलावा तिलकामांझी से डीएम आवास रोड से लेकर बरारी रोड में प्लांटेशन किया जा रहा है।
नागरिक सुविधाएं : ट्रैफिक सिग्नल, शेल्टर हाउस, पार्क, एस्ट्रोनॉमी लैब, मॉडर्न स्कूल, घाटों के सौंदर्यीकरण व रिवर फ्रंट का काम चल रहा है।
डिजास्टर मैनेजमेंट पर भी काम
डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए एजेंसी अलग से सर्वे कर रही है। अचानक आग लगने की घटना हाेने पर क्या उपाय हाे सकते हैं, अभी क्या संसाधन हैं और आगे क्या जरूरी हाेंगे। इस पर सर्वे कर रही है। जबकि शहर के निचले हिस्से में बाढ़ जैसी आपदा के समय लाेगाें काे कैसे बचाया जाए और नालों के जरिये लाेगाें के घरों में घुसने वाले पानी काे कैसे रोका जाए। इन सभी मुद्दों पर यह टीम अलग से काम कर रही है।
प्लानिंग में ये काम हैं शामिल
बेहतर ड्रेनेज सिस्टम
हर घर से कूड़े का उठाव
हर घर में नल का पानी
नक्शा पास करने के बाद ही मकान
हर घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
हर घर तक पक्की सड़क
हर सड़क पर स्ट्रीट लाइट
पार्क व खेल के मैदान
हरियाली के लिए प्लांटेशन
ये होंगे आय के स्रोत : बिल्डिंग का नक्शा, ट्रेड लाइसेंस, अमीन शुल्क, विलंब रजिस्ट्रेशन शुल्क, होल्डिंग टैक्स, विवाह निबंधन, म्यूटेशन शुल्क, पानी कनेक्शन, रोड कटिंग शुल्क आदि। जब सुविधाएं बढ़ेंगी ताे कई तरह के टैक्सों का बोझ भी लाेगाें पर बढ़ सकता है।
नए मास्टर प्लान के लिए जल्द हाेगा सर्वे
शहरी इलाके का विस्तार हुआ है। सुविधाएं बढ़ाने के लिए नया मास्टर प्लान बनेगा। इसके लिए टीम जल्द सर्वे करेगी। उसी प्लान के अनुसार शहर का बेहतर तरीके से विकास हाे सकेगा। -डॉ. योगेश कुमार सागर, नगर आयुक्त