भागलपुर, । अभी तक स्ट्रॉबेरी की खेती मिट्टी में होती थी, लेकिन अब पानी में इसकी खेती होगी। बीएयू इसके लिए काम करेगा। बीएयू के वैज्ञानिक इस काम को हाइड्रोपोनिक विधि से कर उसकी तकनीक को विकसित करेंगे। अभी तक चार तरह के हरा चारा की खेती हाइड्रोपोनिक विधि से की जा रही है।
बीएयू के साथ-साथ भागलपुर के कुछ किसान अभी तक स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं। यह खेती मिट्टी में की जाती है, लेकिन बीएयू के वैज्ञानिकों को स्टॉबेरी और सब्जी की खेती का तकनीक हाइड्रोपोनिक्स विधि से तैयार करने को कहा गया है। एग्रोनॉमी विभाग के संदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि इसके लिये पॉली हाउस तैयार किया गया है और उसमें बाहरी तापमान से अंतर रहेगा और ऐसे माहौल में इसकी खेती की जायेगी।
इसमें प्रत्येक पौधा के लिए अलग-अलग कपनुमा बने होंगे। जिसमें इन पौधों के जड़ पानी में होंगे। इसके नीचे पाइप जैसे लगा होगा जिसमें से हमेशा पानी प्रवाहित होता रहेगा। पौधों की आवश्यकता के अनुसार पोषक तत्व जल संवर्धन विधि द्वारा इसी के माध्यम से प्रदान किया जायेगा। इस तरह इसकी खेती की जा सकेगी।
पॉली हाउस से खेती में कम पड़ेंगे कीटनाशक
सब्जी की बेमौसम खेती
डॉ. संदीप ने बताया कि बेमौसम भी पौधों को उपयुक्त तापमान मिल जाता है, जिससे उसकी बढ़वार तेजी से हो जाती है। चाहे बाहर के तापमान में अंतर हो जाये अंदर के तापमान को नियंत्रित रखकर समय से उसकी खेती की जा सकती है। समय से उत्पाद भी आ जायेंगे। इसमें सिर्फ एक आदमी की ही जरूरत होगी जो तापमान मेनटेन करेगा। इस तरह खेती में शुरुआत में ही एकमुश्त ज्यादा खर्च है, लेकिन नियमित रूप से किया जाये तो पहली बार निवेश के बाद खेती के दौरान बाहर में हो रही खेती से भी कम खर्च पड़ेगा।
अच्छी गुणवत्ता वाली होगी
डॉ. एच मीर ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती मिट्टी में होने के कारण फल मिट्टी से संपर्क में आ जाता है ऐसे में वह खराब होने लगता है, लेकिन हाइड्रोपोनिक विधि से होने के कारण यह मिट्टी के संपर्क में नहीं आता है और ऐसे में उसकी गुणवत्ता काफी अच्छी होती है। यही हाल सब्जियों के साथ भी होता है। इन सब्जियों में पोषक तत्व मिट्टी में होने वाली खेती से ज्यादा होते हैं।
कोट
हाइड्रोपॉनिक्स विधि से चारे की खेती की जा रही है। अब इसी तकनीक से स्ट्रॉबेरी और सब्जी की खेती के लिये तकनीक विकसित किया जायेगा। तकनीक से उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार होंगे और बेमौसम सब्जी का भी उत्पादन हो सकेगा। इससे किसानों को अच्छी कीमत मिल सकेगी। पॉली हाउस में होने के कारण कीटनाशक का कम प्रयोग होने के कारण स्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं होगा।
डॉ. डीआर सिंह, कुलपति, बीएयू