जिले में मानक के अनुसार जैविक खेती हो रही है या नहीं इसकी जांच सरकारी एजेंसी कर रही है। अधूरे मानक के अनुसार खेती करने वाले किसानों को इस योजना का लाभ लेने में परेशानी हो सकती है। दरअसल, प्रदेश में नियमानुसार जैविक खेती हो रही है या नहीं इसको लेकर बिहार सरकार की एजेंसी बासोका सी-3 सर्टिफिकेशन के तहत जांच में जुटी है। सर्टिफिकेशन का काम अंतिम चरण में है। इस समय जिले में 7 प्रखंड के 22 पंचायतों के 2000 एकड़ में जैविक खेती हो रही है। कृषि विभाग की ओर से इसके लिए 24 समूह बनाए गए हैं। इसमें 2 हजार 28 किसानों को शामिल किया गया है।
इन किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में 11500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से राशि दी गई थी। बासोका अब तक 24 में 20 समूहों के सदस्य किसानों की जांच कर चुकी है। शेष 4 समूहों की जांच प्रक्रिया चल रही है। जांच के बाद बासोका एजेंसी केंद्रीय जांच एजेंसी एपीडा के ट्रेस-नेट पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड करेगी है। इसके बाद सी-3 सर्टिफिकेशन के दौरान मानक पूरा नही करने वाले किसानों को जैविक कॉरिडोर से बाहर कर दिया जाएगा।
नोडल अधिकारी पशुपतिनाथ यादव ने बताया कि सी-3 सर्टिफिकेशन प्रक्रिया अंतिम चरण में है। बसोका एजेंसी स्थलीय निरीक्षण कर मिट्टी के नमूनों की जांच करती है। प्रक्रिया पूरा होने के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह तक किसानों को सी-3 सर्टिफिकेट दिया जाएगा। समूह स्तर पर जांच प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही मिट्टी के नमूने लिए जाते हैं। इस योजना में उत्पाद के साथ मिट्टी का भी पूर्ण जैविक का प्रमाणीकरण किया जाना है। 24 समूहों में प्रत्येक समूह से 12 किसानों के खेत की मिट्टी के नमूने अब तक लिए गए है।
दूसरे चरण में खेती के लिए किसानों की सूची तैयार
नोडल अधिकारी ने बताया कि इस योजना के दूसरे चरण में 1500 एकड़ में जैविक कॉरिडोर बनाने की तैयारी है। इसके लिए जिले के 7 प्रखंड के 16 पंचायतों के 1168 किसानों की सूची तैयार की गई है। जिले के जगदीशपुर, नाथनगर, सुल्तानगंज, शाहकुंड, कहलगांव, पीरपैंती और खरीक प्रखंड के 16 पंचायतों का चयन किया गया है। नए वित्तीय वर्ष से इसको लेकर काम शुरू कर दिया जाएगा।