आधा दर्जन गांवों में दहशत
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सबौर प्रखंड के फतेहपुर, बरारी, गोपालपुर, झुरखुरिया, इब्राहिमपुर, सरधो, बंशीटिकर, चंदेरी एवं राजपुर गांव में दहशत की स्थिति बनी हुई है। शाम ढ़लते ही हाथी आने के भय से लोग घरों में कैद हो गए है। फतेहपुर के मुन्ना, राजपुर के रिजवान व बरारी पंचायत के मुखिया चमक लाल मंडल ने बताया कि बचाव के लिए गांवों में लोग टोली बना रतजगा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रखंड के चार लोगों की मौत से स्थिति भयावह बनी हुई है।
बेरहमी से कुचल कर लोगों को मार रहा हाथी
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झारखंड के जंगल से भाग कर आया हाथी ने लोगों को बेरहमी से मारना शुरु कर दिया है। वह पहले लोगों को सूड़ में लपेट कर पटक देता है फिर पांव से कुचल कर मार दे रहा है। हालांकि वन विभाग की सक्रियता से उसे पुन झारखंड के जंगलों में पहुंचा दिया गया है।
घटना से आहत परिजनों के घर में चिख-पुकार
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फतेहुपर के बगीचे में यादव टोला निवासी संजय यादव की मां श्रेष्टा देवी को शनिवार की सुबह हाथी द्वारा कुचल कर मार दिए जाने से कोहराम मचा हुआ है। एक तरफ जहां गांव में दहशत की स्थिति बनी हुई है। वही इस आकस्मिक मौत से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। बगीचे की रखवाली कर परिवार का भर पोषण करने वाले 65 वर्षीय झुरखुरिया निवासी प्रसादी तांती के मौत की खबर ने परिजनों की होश उड़ा दी। लोग हाथी के भय से उन्हें बगीचे में देखने के लिए आने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। बंशीटिकर निवासी मोसमात मकरी देवी की मौत से एकलौते पुत्र दिनेश पासवान के सिर से मां का साया उठ गया। सरधो के पूर्व मुखिया प्रकाश पासवान एवं वर्तमान पंचायत समिति सदस्य डोमन ठाकुर ने बताया मृतका के घर की आर्थिक स्थिति काफी बदतर है। मां-बेटे की कमाई से ही उनके घर का चूल्हा जलता था। वहीं चंदेरी पंचायत के राजपुर गांव निवासी मु. हारूण के पुत्र मु. एहसान को भी हाथी ने सूड़ में लपेट पटक कर मार डाला। इस घटना से आहत परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मु. हारुण ने बताया कि एहसान बकरी पालन कर परिवार की गाड़ी को चलाने में आर्थिक मदद करता था।
मादा साथी की तलाश में भटक रहा हाथी
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डीएफओ एसके सिन्हा ने बताया कि गर्मी के मौसम में हाथी के मेटिंग का तीन माह की अवधि होती है। ऐसी स्थिति में वह मस्त रहता है और मादा साथी की तलाश में भटकते रहता है। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों को अगर छेड़ा नहीं जाय तो यह किसी को क्षति नहीं पहुंचाता है। अपने रास्ते से गुजर रहे हाथी को छेड़ने पर वह ज्यादा उग्र हो जाता है। मानव के बसावट को उजाड़ना एवं लोगों को कुचल कर मारना शुरु कर देता है।
जंगली जानवर द्वारा मारे जाने पर दो लाख की मुआवजा
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जंगली जानवर द्वारा जान से मारे जाने की दशा में पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये एवं गंभीर रुप से घायल को 60 हजार रुपये मुआवजा राशि भुगतान का प्रावधान है।
डीएफओ एसके सिन्हा ने बताया कि संबंधित थाना क्षेत्र के थानाध्यक्ष द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ सूचना दिए जाने पर उसे वन विभाग द्वारा अनुशंसित कर आवेदन राज्य सरकार के पास भेजी जाती है। तक मुआवजे की राशि का भुगतान होता है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार हाथी द्वारा सबौर व जीरोमाइल थाने में दो-दो लोगों को मारे जाने की यूडी केस दर्ज किया गया है।
घटना से डीएम को कराया अवगत
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जंगली हाथी की घटना से उत्पन्न स्थिति एवं उससे निपटने की तैयारी को लेकर देर शाम वन विभाग के अधिकारियों का दल जिलाधिकारी से मिले। उन्हें दिन भर की गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी। आगे फिर हाथी के वापस लौटने की संभावना को देखते हुए विभागीय स्तर पर की गई तैयारियों से भी अवगत कराया। दिल्ली से आए शूटर ने भी डीएम से मुलाकात की। बताया गया कि बंगाल के बांकुरा से हाथी भगाने का दल भी यहां पहुंचने वाली है।
डीएम से मिलने पहुंचे अधिकारियों में राज्य के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह मुख्य वन्य प्राणि प्रतिपालक एसएस चौधरी, क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक पीके गुप्ता, वन संरक्षक संजय कुमार सिन्हा, डीएफओ एसके सिन्हा, दिल्ली से आए शूटर नबाव सतात अली खां, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी बीपी सिन्हा एवं वन परिसर पदाधिकारी बीरेंद्र कुमार पाठक शामिल थे।
2005 में भी कृषि कॉलेज में भटक कर आया था हाथी
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बिहार कृषि कॉलेज प्रक्षेत्र में 10 वर्ष पूर्व झारखंड के जंगल से भटक कर एक हाथी आया था। उसने प्रक्षेत्र के तालाब में स्नान का भी मजा लिया था। इसके पूर्व गंगा के किनारे-किनारे आने के क्रम में बरारी में कई लोगों के झोपड़ियों को भी क्षतिग्रस्त किया था। वन विभाग की सक्रियता से बंगाल के बांकुरा से हाथी भागने वाली दस्ता को बुलाकर उसे पुन झारखंड के जंगलों में पहुंचाया गया था।
क्यों जंगल से शहर की ओर भटक रहा हाथी
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अमरेन्द्र कुमार तिवारी, भागलपुर : वन्य प्राणियों के संरक्षण प्लान मजबूत होने की वजह से जंगलों में जानवरों की संख्या बढ़ रही है। शिकार बंद है। इंसानों की आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ने के जंगल का क्षेत्रफल कम होते जा रहा है। पहले नदी किनारे जंगल हुआ करता था। अब वह खेत बन गया है। विचरण क्षेत्र में हो रही कमी के कारण भोजन की तलाश में हाथी गन्ना, मक्का व बांस जो उसके लिए लजीज भोजन है खाने को जंगल से बाहर भटक रहे हैं। उक्त बातें शनिवार को हवाई मार्ग द्वारा दिल्ली से से भागलपुर पहुंचे राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियन रह चुके हैदराबाद निवासी शूटर नबाव सतात अली खां ने कही।
उन्होंने कहा कि ऐसे भटके हुए हाथी को पहले हर संभव वापस जंगल में भेजने का प्रयास किया जाता है। सफलता नहीं मिलने व जानमाल की ज्यादा क्षति हो जाने की स्थिति में उसे मारने का फैसला लिया जाता है। बता दे कि शूटर खां ने वर्ष 2009 में उत्तरप्रदेश के फैजाबाद में 20 आदमी को मारने वाले हाथी को मार गिराया था। फिर वर्ष 2013 में हिमाचल के मंडी जिला में तेंदुआ के आतंक से आक्रांत लोगों को उसे मार कर राहत दिलाई थी। इसके पूर्व 1976 में मैसूर सरकार ने 12 आदमियों को मौत के घात उतारने वाले आदमखोर हाथी को मारने के लिए बुलाया था। जिसे पूरी सहजता से शूट कर दिया था।
एक सवाल के जबाब में राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियन रहे नबाव खां ने कहा कि समाज सेवा हमारा मकसद है। 470 एव 458 नबंर की बंदूके जंगली जानवरों को मारने के लिए विशेष रूप से बनाया गया है। जिससे मारने पर जानवरों को कम तकलीफ होती है। देश का एकलौता शूटर होने के नाते उन्होंने बताया कि हम बीते 46 वर्षो से शुटिंग का काम कर रहे हैं।
जानवरों को बेहोश करने का दे रहे प्रशिक्षण
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शूटर नबाव खां देश के सात राज्यों में वहां के वन पदाधिकारियों एवं पशु चिकित्सकों को जंगली जानवरों को बेहोश करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। बेहोश करने में दबा की कितनी मात्रा का बेहतर उपयोग होना चाहिए इसकी बारीकी से प्रशिक्षण दे रहे हैं। जिन राज्यों में प्रशिक्षण दे रहे हैं उसमें कर्नाटक, तेलांगाना, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, हिमाचल, उत्तरप्रदेश एवं गोवा शामिल है।
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