जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से एमबीबीएस व पीजी कर रहे छात्रों को अब लावारिस सड़े-गले शवों के जरिये एनॉटामी की पढ़ाई नहीं करनी पड़ेगी। जल्द ही इस मेडिकल कॉलेज के एनॉटामी विभाग को थ्री डी वर्चुअल डिसेसन टेबल मिलने वाला है। इसको लेकर कॉलेज ने जहां सरकार को पत्र लिख दिया है वहीं सरकार के स्तर से इसे देने के लिए विभागीय कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है।
मेडिकल कॉलेज को जरूरत है हर साल 10 से 12 शव
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एनॉटामी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा बताते हैं कि शरीर रचना का प्रैक्टिकल करने के लिए हर 12 एमबीबीएस छात्र पर एक शरीर की जरूरत है। ऐसे में 120 सीट वाले इस कॉलेज को हर साल औसत 10 से 12 शव की जरूरत होती है। लेकिन बमुश्किल पांच से छह शव ही शरीर रचना विषय की पढ़ाई के लिए मिल पाता है। कॉलेज या फिर मायागंज अस्पताल के मार्चरी में रखे लावारिस शवों के जरिये हम ये जरूरत पूरी कर पाते हैं। इसके लिए शव को लाने वाली पुलिस को बकायदा प्रार्थना पत्र देकर लिखित अनुमति लेनी पड़ती है। वहीं एक शव पर दो दर्जन से अधिक छात्रों को शरीर रचना का प्रैक्टिकल सीखना पड़ता है।