सूफी गायिका डॉ. ममता जोशी भारतीय संस्कृति से जुड़े गीत ही गाना पसंद करती हैं। वह आगे चलकर मीरा व कबीर पर कई गीत लोगों के सामने रखना चाहती है। चंडीगढ़ की गायिका ने स्थानीय एक होटल में बातचीत में कहा कि बिहार कई बार आ चुकी हूं। इस बार जिला प्रशासन के आग्रह पर वह भागलपुर पहली बार आयी हैं। यह एक ऐतिहासिक नगरी है। यहां के सिल्क कपड़े काफी फेमस हैं।
उन्होंने बताया कि सूफी में उनका दमदम मस्त कलंडर गीत काफी पोपुलर हुआ था। इसके बाद वह संगीत के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रही हैं। वह अपने कार्यक्रम में संत कबीर और मीरा बाई की रचनाओं को भी लोगों के सामने रख रही हैं। कहा कि मेरे लिए सूफीवाद अपने आपको जानने के बारे में है। सूफी फकीरों और लोकप्रिय कवियों के बारे में जानना और सीखना उनके लिए आध्यात्मिक जागरण के समान रहा। ममता ने बताया कि वह नौ साल की उम्र से ही गाने की शौकीन थीं। भागलपुर पहुंचने पर ममता ने गुरुद्वारा में मत्था टेका। जहां गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने उनका स्वागत किया। इसके बाद समाजसेवी कुणाल सिंह, अक्षय मोदी के साथ महाशय ड्योढ़ी गये। फिर नाथनगर में जाकर सिल्क के कपड़ों की खरीदारी की। चंपानगर में गायिका ने नौशाद अंसारी, फैजान अंसारी आदि के यहां लूम को देखा। इसके बाद साड़ी व अन्य कपड़े कैसे तैयार होते हैं। इसकी जानकारी ली। इस दौरान पांच साड़ी व कई शूट व दुपट्टे की खरीदारी की।