समीक्षा : “उपन्यास ‘गेना लैया’ : डॉक्टर अमरेंद्र” – अरुण कुमार पासवान
उपन्यास 'गेना लैया' : डॉक्टर अमरेंद्र++++++++++++++++++++++जिसे आप जी जान से चाहते हैं,उसे किसी भी हाल में छोड़ना नहीं चाहते हैं,पर छोड़ना आप की विवशता हो जाती है,वह आप के दिल के बहुत पास रहने लगता है।फिर जब भी सुयोग आता है आप अपने अंतराल की सारी कसर पूरी करते देखे जा सकते हैं। गांव और ग्रामीण संस्कृति के साथ मेरा भी ऐसा ही संबंध है।तो जब गांव पहुंचने का अवसर मिलता है,ग्रामीण संस्कृति की बात होने लगती है,ग्रामीण बोलचाल,शब्द या नाम सुनाई या दिखाई दे जाता है,मन करता है उसी में डूब जाऊं,और जो खोया है उसे जितना पा सकता हूं पा लूं।गेना नाम पहले भी सुना है,डॉक्टर अमरेंद्र जी के 'गेना' के पन्नों से गुज़रा भी हूं,(अच्छा है कि अब उसमें से कुछ भु याद नहीं)पर जब इसका पी डी एफ एक नए प्रकाशन के रूप में अमरेंद्र जी से ही प्राप्त हुआ तो उसमें तैरने, उतराने को जी करता है,आराम से धीरे धीरे।(यह मेरे लिए इस समय एक नई कहानी है,जिसे पढ़ते हुए,दुहराने जैसा कोई अहसास नहीं है,तो जिज्ञासा रत्ती भर भी कम न होगी।)नौकरी को मैं सदा मजबूरी मानता रहा हूं,रोटी के जुगाङ के लिए बस।यदि बिना नौकरी रोटी,कपड़ा …
निधन: अंगिका के सिरमौर कवि श्री हीरा प्रसाद “हरेंद्र” नहीं रहे
अंगिका भाषा को पहचान दिलाने वाले कवि श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र (74) का १६ - मई २०२४ दोपहर, सुलतानगंज में निधन हो गया. वह कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. वह अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय महामंत्री थे. श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र अंगिका के सिरमौर कवि थे. अंगिका व हिंदी साहित्य में इनका अमूल्य योगदान है. अंगिका भाषा को समर्पित हीरा बाबू का जन्म 6 सितंबर 1950 को सुलतानगंज के कटहरा ग्राम में हुआ था. वह सेवा निवृत प्रधानाचार्य थे.
अपनी लेखनी से अंगिका में कई खंड काव्य, महाकाव्य व प्रबंध काव्य की रचना की. इनका काव्य खंड पुस्तक उत्तंग हमरो अंग और अंगिका महाकाव्य तिलकामांझी, टीएमबीयू में एमए के पाठ्यक्रम में छात्र पढ़ रहे है. अंगिका में गजल संग्रह, हिंदी संस्मरण, हिंदी काव्य संकलन, हिंदी एकांकी, लोक गाथा पर उपन्यास कुंडलियां व दोहे लिखे. कई सम्मान व पुरस्कार मिले. उन्हें आठ अप्रैल को अजगैवीनाथ साहित्य मंच सुलतानगंज की ओर से उमानाथ पाठक साहित्य स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया था. उनके निधन पर शहर के शिक्षाविद व साहित्कारों में शोक की लहर है. सुलतानगंज मुक्तिध…
केन्द्र को कौन बताए कि अंगिका व्युत्पन्न भाषा नहीं है – डॉ. अमरेन्द्र
इंदुबाला | Indubala
जाने माने साहित्यकार इंदुबाला का जन्म भागलपुर में १ दिसंबर १९५६ को हुआ. प्रारंभिक शिक्षा के उपरांत इन्होने हिंदी में एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (राजनीति शास्त्र), और फिर एल.एल.बी. की पढ़ाई की और बाद में हिंदी विभाग में शिक्षिका के तौर पर काम किया. ये प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. शिवचंद्र झा ‘आंगिरस’ की पत्नी हैं. इन्होने हिंदी और अंगिका भाषा में कई पुस्तकें लिखीं ।
/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:#2c2c2c;--divider-icon-size:20px;--divider-element-spacing:10px;--divider-pattern-height:24px;--divider-pattern-size:20px;--divider-pattern-url:none;--divider-pattern-repeat:repeat-x}.elementor-widget-divider .elementor-divider{display:-webkit-box;display:-ms-flexbox;display:flex}.elementor-widget-divider .elementor-divider__text{font-size:15px;line-height:1;max-width:95%}.elementor-widget-divider .elementor-divider__element{margin:0 var(--divider-element-spacing);-ms-flex-negativ…डॉ. सुजाता कुमारी | Dr. Sujata Kumari
डॉ. सरिता सुहावनी | Dr. Sarita Suhawani
डॉ. भूतनाथ तिवारी | Dr. Bhootnath Tiwari
बैकुंठ बिहारी | Baikunth Bihari
अनूप लाल मंडल | Anup Lal Mandal
प्रारंभिक जीवन के तैंतीस वर्षों तक अध्ययन और जीविकोपार्जन की दिशा में टैढ़ी मेढ़ी पगडंडियों से गुजरने के बाद भागवती प्रेरणा के फलस्वरूप अप्रत्यासिक रूप से भारती के अर्चना की ओर प्रवृत्त-प्रतिकूल परिस्थितियों में भी असदम्य उत्साह एवं अटूट निष्ठा से साहित्य साध्ना, सन अदम्य उत्साह एवं अटूट निष्ठा से साहित्य साधना,
सन 1921 ई. में प्रथम कृति निर्वासिता का प्रकाशन-अब तक कुल 18 उपन्यास प्राकाशित -मीमांसा नामक उपन्यास का ‘बहुरानी’ नाम से चल चित्रीकरण--रक्त और रंग’ नामक उपन्यास बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत ।
व्यक्तिगत सत्याग्रह में कारावास-असाध्य बात व्याध् िके साथ कारा मुक्ति। वह व्याध् ियथास्थान अब भी अचला राष्ट्रभाषा परिषद् के प्रारंभिक काल से सन 1963 तक प्राकशनाधिकारी के यप में सरकारी सेवा-कैवल्यधम आश्रम, महर्षि रमण आश्रम और विशेषतः श्री अरविन्द आश्रम में अध्यात्मिक जीवन की सुखानुभूति-साहित्य सृजन ही जीवन यात्रा का पाथेय।
/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:…राधा | Radha – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ | Heera Prasad “Harendra” – Angika Books
डॉ. शिवचंद्र झा ‘आंगिरस’ | Dr. Shivchandra Jha “Angris”
डॉ. शिवचंद्र झा का जन्म भागलपुर जिले भ्रमरपुर ग्राम में १ मई १९३९ को हुआ था। उन्होंने हिंदी में स्नातकोत्तर करने के बाद पीएचडी और एलएलबी की. पढ़ाई के उपरांत अवर प्रमंडल शिक्षा पदाधिकारी के पद पर काम करते हुए वह सेवानिवृत हुए।
/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:#2c2c2c;--divider-icon-size:20px;--divider-element-spacing:10px;--divider-pattern-height:24px;--divider-pattern-size:20px;--divider-pattern-url:none;--divider-pattern-repeat:repeat-x}.elementor-widget-divider .elementor-divider{display:-webkit-box;display:-ms-flexbox;display:flex}.elementor-widget-divider .elementor-divider__text{font-size:15px;line-height:1;max-width:95%}.elementor-widget-divider .elementor-divider__element{margin:0 var(--divider-element-spacing);-ms-flex-negative:0;flex-shrink:0}.elementor-widget-divider .elementor-icon{font-size:var(--divider-icon-size)}.elementor-widget-divider .elementor-di…सुधीर कुमार सिंह “प्रोग्रामर” | Sudheer Kumar Singh “Programmer”
अंगिका के जाने माने साहित्यकार सुधीर कुमार सिंह का जन्म वर्तमान मुंगेर के खड़िया गाँव में हुआ था.
अंगिका के जाने माने साहित्यकार सुधीर कुमार सिंह का जन्म वर्तमान मुंगेर के खड़िया गाँव में हुआ था.
उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। उनका झुकाव साहित्य की और बचपन से ही था और धीरे-धीरे वो इसमें रमते चले गए। अंगिका साहित्य में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। उन्हें साहित्य के क्षेत्र में कई सम्मान मिले।
/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:#2c2c2c;--divider-icon-size:20px;--divider-element-spacing:10px;--divider-pattern-height:24px;--divider-pattern-size:20px;--divider-pattern-url:none;--divider-pattern-repeat:repeat-x}.elementor-widget-divider .elementor-divider{display:-webkit-box;display:-ms-flexbox;display:flex}.elementor-widget-divider .elementor-divider__text{font-size:15px;line-height:1;max-width:95%}.elementor-widget-divider .el…डॉ. नरेश पाण्डेय चकोर | Dr. Naresh Pandey Chakor
Dr. Naresh Pandey Chakor was born 15 km south of Sultanganj under Bhagalpur district of Bihar. He was born on 3 January 1938 in a very ordinary farmer and Brahmin family in Devdha village, located at a distance of . His father's name was Shri Chandramohan Pandey and mother's name was Mrs. Prajavati Devi. He died in Patna on 14 November 2014.
Dr. Naresh Pa…