हुट्ठी कंश रहै बड़ा, जानै सब संसार।जानी बूझी हर घड़ी, करै सदा तकरार॥करै सदा तकरार, शान्ति के दुश्मन छेलै।अस्त्र-शस्त्र के साथ, हमेशा खेला खेलै॥उत्पाती भी खूब, करै राजा के कुट्टी।लोग सदा भयभीत, रहै अहिनों ऊ हुट्ठी॥1॥
सगरे छैलै ओकरोॅ मनमानी के राज।ढेरी राजा के छिनै, माथा पर के ताज॥माथा पर के ताज, छिनी कारागृह भेजै।शोकाकुल नृपराज, बहुत्ते जीवन तेजै॥सुनी असुर के नाम, हमेश काँपै नगरै।त्राहिमाम के शोर मचाबै सब्भैं सगरे॥2॥
प्यारी बहिना देवकी, खेलै संगे साथ।चललै चर्चा एक दिन, शादी केरोॅ बात॥शादी केरोॅ बात, बसुदेव ब्याहन ऐलै।चारो तरफ उमंग, द्वार-घर-आँगन छैलै॥सजलै दुल्हन रूप, सजाबै सखियन सारी।शोभा केरोॅ धाम, लखै तब बहिना प्यारी॥3॥
शादी के सब काज, पूरा होलै धूम सें।हँसी-खुशी के राज, झलकै चारो दिश सदा॥4॥
माय बहाबै लोर, चिन्तित मनमा बाप के।गाबै भोरमभोर, गीत गला फाड़ी सखी॥5॥
कानी-कानी माय, लिपटी गल्ला सें कहै।रखिहोॅ स्वर्ग बनाय, जा बेटी ससुराल केॅ॥6॥
देवकी, बसुदेव सें ब्याही,जब चलली ससुराल।कंशो चलै बनी लोकनिया,पहुँचाबेॅ तत्काल॥7…