गेना | Gena – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
फैसल केरो जासूसी | Faisal Kero Jasoosi – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
एक छड़ी पर अंडा नाचै | Aik Chhadi Par Anda Nachai – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
ढोल बजे छै ढम्मक ढम | Dhol Bajai Chhai Dhammak Dham – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
बुतरू के तुतरु | Butru Ke Tutru – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
बाजै बीन बजावै तीन | Baajai Been, Bajawai Teen – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
अतिरथी : संरचना आरो शिल्प | Atirathi : Sanrachna Aaro Shilp – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
अंग लोकसंस्कृति कोष | Ang Loksanskriti Kosh – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
अंगिका व्याकरण आरो रचना कला | Angika Vyakaran Aaro Rachna Kala – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
अंगिका लोकसाहित्य और मञ्जूषा कला | Angika Loksahitya Aur Manjusha Kala – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Books
अमृतदेश अंगप्रदेश | Amritdesh Angpradesh – डॉ. अमरेंद्र | Dr. Amarendra – Angika Book
डॉ. अमरेन्द्र – Dr. Amarendra
हिन्दी और अंगिका में विपुल साहित्य के सर्जक डॉ. अमरेन्द्र का जन्म, बिहार के पुराने जिले भागलपुर के बाँका अनुमंडल (अब जिला) के रजौन थानान्तर्गत, पौराणिक नदी चानन नदी के पूर्वी छोर पर बसा रुपसा (रूपसार) गाँव में पाँच जनवरी उन्नीस सौ उनचास ई. में हुआ । अपने पिता के बाहरी और आन्तरिक व्यक्तित्व से संपन्न, इन्होंने आरंभ में तो सवैया और कवित्त छंदों में काव्य-सर्जना आरंभ की, लेकिन बाद में उर्दू शैली से प्रभावित होकर देवनागरी में भरपूर ग़ज़लें कहीं, और नज़्में भी । यह क्रम काँग्रेस-काल में आपात-काल की घोषणा से लेकर सन दो हजार पाँच ई. के आसपास तक जारी रहा । बाद में इन्होंने अपनी सृजनशीलता के वेग को, जनपदीय आन्दोलन से प्रभावित होकर, अपनी मातृभाषा के संपूर्ण विकास की ओर मोड़ दिया और इस तरह अपने सर्जक व्यक्तित्व को राष्ट्रभाषा के साथ-साथ मातृभाषा की सेवा में समर्पित कर दिया, जो आज भी उसी रूप में अडिग है ।
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