किसी भी सूरत में पराली ना जलाएं: सांसद;

Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

भागलपुर,सांसद अजय मंडल ने किसानों से कहा कि किसान भाई किसी भी सूरत में पराली न जलाएं। पराली जलाने से मिट्टी की पोषक तत्व में कमी आती है। इससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। वहीं नाथनगर के विधायक अली अशरफ सिद्दीकी ने कहा कि खेती में घाटे को कम करने के लिए किसान उपयुक्त कृषि यंत्रों की मदद से मौसम अनुकूल खेती करें। इससे कम लागत पर बेहतर उत्पादन होगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी। ये बातें मंगलवार को आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र सबौर में आयोजित किसान मेला सह प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए सांसद और विधायक बोल रहे थे।

विधायक ने कहा कि भागलपुर जिले के लिए यह सौभाग्य की बात है कि यहां कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र दोनों संस्थाएं हैं। किसान इसका भरपूर लाभ उठाएं। मेले में विभिन्न प्रकार के पौधे, कृषि व उद्यानिक टूल्स, फल व सब्जियों के प्रसंस्कृत उत्पाद और सुधा के विभिन्न उत्पाद का स्टाल लगाए गए थे। जिसे सांसद, विधायक और किसानों ने देखकर जानकारी ली। इस मेले में जिले के विभिन्न प्रखंडों से करीब चार सौ की संख्या में महिला और पुरुष किसानों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। डा. आरके सोहाने ने कहा कि ‘किसान भागीदारी : प्राथमिकता हमारी विषय पर आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से केवीके विश्वास दिलाता है कि वह किसानों के साथ हमेशा खड़ा है।

पराली को मिट्टी में मिलाएं;

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने भी किसानों को कहा कि किसान भाई किसी भी सूरत में पराली न जलाएं। पराली को मिट्टी में मिलाकर खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने की भी उन्होंने सलाह दी। कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान अरविंद कुमार सिन्हा ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से कृषि यंत्रों की जीवंत तकनीकी प्रदर्शन कर किसानों को दिखाया जा रहा है ताकि वे सहजता से इस यंत्रों की क्रियाकलापों को देखकर सीख सकें।

पीआरओ डॉ शशिकांत ने कहा कि उद्घाटन सत्र समापन के बाद तकनीकी सत्र की शुरुआत हुई। जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक इंजीनियर पंकज कुमार, डॉ एके मौर्य, डॉ ममता कुमारी, डॉ एम जेड होदा और अनिता कुमारी द्वारा कृषि में यंत्रों का महत्व, फसल विज्ञान की जानकारी, फसल अवशेष प्रबंधन, कृषि में पशुपालन का महत्व और मौसमी फलों का प्रसंस्करण विषय पर विस्तार से किसानों को तकनीकी जानकारी दी गई।