अंगिका के महाकवि आरो अवकाश प्राप्त कुशल प्रधानाचार्य श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र जी के जन्म ६ सितम्बर १९५० क भागलपुर (बिहार) के सुल्तानगंज प्रखंड अंतर्गत कटहरा मेँ होलै | हिनी शिक्षण करते हुए लगातार अंगिका भाषा के सेवा में लागलौ रहलै | हिनको पहिलो अंगिका काव्य संकलन “उत्तंग हमरो अंग” प्रकाशित होलै आरो तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल होलै तहिया से आय तक नौ (९) महत्वपूर्ण प्रबंध काव्य कृति प्रकाशित होलै |
हीरा प्रसाद “हरेंद्र”
जन्म : 6 सितम्बर, 1950, कटहरा, सुल्तानगंज
एकरो अलावा हिनी “के करतै तकरार” अंगिका ग़ज़ल संग्रह आरो अन्य दर्जन भर काव्य संकलन, नाटक आरो उपन्यास रची के अंगिका भाषा के उच्च शिखर पर स्थापित करलकै|
श्री हरेंद्र जी मजबूत छंद में इकठ्ठा तीन – तीन अंगिका महाकाव्य लिखै वाला एकलौता साहित्यकार के रूप में स्थापित होलै|
फिलहाल हिनी पंजीकृत साहित्यक संस्थान अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर आसीन छैत|
हीरा प्रसाद "हरेंद्र" जी की कृतियाँ
1. उत्तंग हमरो अंग (अंगिका काव्य संकलन)
2. संस्मरण चक्र (हिंदी संस्मरण)
3. उद्वेलित उद्दगार (हिंदी काव्य संकलन)
4. बहिष्कार (अंगिका एकांकी)
5. सोना के दाँत (अंगिका काव्य संकलन)
6. ठकहरा (अंगिका एकांकी)
7. के करतै तकरार (अंगिका ग़ज़ल संग्रह)
8. राधा (अंगिका प्रबंध काव्य)
9. तिलका मांझी (अंगिका महाकाव्य)
10. शंबूक (प्रबंध काव्य)
11. धन्नू बाबा (प्रबंध काव्य)
12. भावांजलि (कुण्डलिया एवं दोहे संकलन)
13. स्वाबलंबी बालिकाएँ (हिंदी एकांकी संकलन)
14. कारूदास (उपन्यास)
15. निष्कलंकिनी (खंडकाव्य)
16. महर्षि मेँहीँ (महाकाव्य)
17. लौहपुरुष पटेल (प्रबंध काव्य)
18. गुलसिताँ (ग़ज़ल संग्रह)
19. बाबा अनंतदास (महाकाव्य)