मिली जानकारी के अनुसार अमल थापा फर्जी लाइसेंस लेकर झारखंड के एक बड़े ठेकेदार के यहां सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहा था। अमल थापा ने अपना स्थायी पता खगडिय़ा जिला स्थित मानसी थाना क्षेत्र के धरमचक गांव का दिया है, जबकि धरमचक में इस नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं।
मानसी पुलिस ने बताया कि पूर्व में भी कुछ लोगों ने सत्यापन के लिए आवेदन दिए थे, लेकिन मामले फर्जी पाए जाने की वजह से आवेदन रद कर दिए गए।
थापा को जो लाइसेंस जारी किया गया है उसमें लाइसेंस संख्या 316/2009 दिया गया है। लाइसेंस में इस बात का भी उल्लेख है कि लाइसेंसी 150 बुलेट रख सकता है, जबकि बुलेट बंदूक में लगती है। पिस्तौल के लाइसेंस में इस बात का उल्लेख कैसे किया गया है, यह समझ से परे है।
पूर्व में भी फर्जी लाइसेंस के मामले सामने आए हैं। 2012 में पसराहा पुलिस ने पिंटू यादव को शिकार खेलते बंदूक के साथ पकड़ा था। जब लाइसेंस की जांच की गई तब पाया गया कि यह लाइसेंस सिवान के जिला अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी है। सिवान के जिलाधिकारी ने उक्त लाइसेंस को फर्जी करार दिया।
दो वर्ष पूर्व भी चंडीगढ़ पुलिस ने सात फर्जी लाइसेंस पकड़े थे। मुंगेर, खगडिय़ा, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी आदि के लोगों ने फर्जी लाइसेंस बना कर चंडीगढ़ की दुकान से हथियार खरीद लिए थे। इस मामले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी।
डीएम राजीव रौशन ने बताया कि खगडिय़ा जिले में अब तक लगभग 11 से 12 सौ लाइसेंस जारी किए गए हैं। इनमें 800 लोगों की जानकारी जिला प्रशासन को है। उन्होंने कहा कि डीएम के स्तर से पूरे देश के लिए लाइसेंस निर्गत नहीं किया जा सकता। गृह मंत्रालय ही इसके लिए अधिकृत है। डीएम ने कहा कि प्रथमदृष्टया यह मामला फर्जी लाइसेंस का है। वे इसकी जांच कराएंगे।
एसपी धुरत सायली सबलाराम ने कहा कि वे इस मामले को लेकर डीएम को पत्र लिखेंगी। यदि जांच के दौरान लाइसेंस फर्जी पाया गया तो दोषी व्यक्ति के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।
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