बकाया भुगतान के लिए निगम में मजदूरों का हंगामा;

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नाला उड़ाही में काम करने वाले लगभग ढाई सौ मजदूरों ने बुधवार को निगम कार्यालय में हंगामा कर दिया। नगर निगम कार्यालय का मुख्य गेट बंद कर लोगों को आने जाने से रोक दिया गया और अंदर नगर आयुक्त डा. योगेश कुमार सागर के कार्यालय के बाहर नारेबाजी करने लगे। मजदूरों के रवैये को देखते हुए नगर निगम के अधिकारियों ने आदमपुर थाने की पुलिस को सूचित किया। पुलिस पहुंची तो हंगामा कर रहे मजदूरों को शांति पूर्वक बात करने को कहा। फिर नगर आयुक्त के आश्वासन के बाद मजदूर निगम से वापस हुए।दरअसल इन मजदूरों ने तीन महीने तक शहर के अलग-अलग जोन में नाला उड़ाही का काम किया था। पूर्व नगर आयुक्त के आदेश के अनुसार इन मजदूरों को साप्ताहिक भुगतान किया जाना था। लेकिन नगर निगम के कर्मचारियों ने साप्ताहिक भुगतान नहीं किया। अब जब मजदूरों ने लगभग एक महीना पहला काम पूरा कर लिया है तब भी भुगतान नहीं हुआ है। मजदूरों का कहना था कि उनलोगों को बुधवार को भुगतान लेने के लिए बुलाया गया था। लेकिन आज जब कार्यालय पहुंचे तो बताया गया कि अभी तक फाइल का निष्पादन नहीं हुआ है। नाला उड़ाही के लिए इस साल 39 लाख का बिल दिया गया है। इसके पहले के दो सालों में क्रमश: 15 लाख और 19 लाख का बिल आया था। ऐसे में अचानक बिल बढ़कर 39 लाख रुपए होने पर नगर आयुक्त ने पूरे विपत्र की जांच करने को कहा है। सिटी मैनेजर रवीश चन्द्र वर्मा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम बनायी गई है जिसमें लेखा शाखा प्रभारी पंकज कुमार और स्थापना शाखा प्रभारी गौतम मल्लिक शामिल हैं। बुधवार को जब हंगामा हुआ तो नगर आयुक्त ने स्वास्थ्य शाखा प्रभारी जयप्रकाश यादव को शोकॉज भी किया है। उनसे पूछा गया है कि जब काम लगभग एक माह पहले खत्म हो गया तो इतने विलंब से बिल क्यों दिया गया। साथ ही साथ जब साप्ताहिक भुगतान का आदेश था तो एकमुश्त भुगतान क्यों कराया जा रहा है। पहले भुगतान क्यों नहीं कराया गया। इधर सिटी मैनेजर ने बताया कि मजदूरों से नगर आयुक्त ने बात की है और एक सप्ताह में सत्यापन के बाद मजदूरी भुगतान करा देने का आश्वसन दिया है। उन्होंने बताया कि मजदूरों को भुगतान के लिए फाइल उनके पास शनिवार को शाम में दी गई। भुगतान की प्रक्रिया होती है। बिल का जांच भी करना है। ऐसे में बुधवार को भुगतान की बात कहां से आ गई।