राधा – वन्दना – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

जयति जय जय राधिका जय, जयति संकट टारिणी।
जयति जय वृषभानुबाला जयति जय अघ हारिणी॥

नाम तोरोॅ पाप नाशक, नाश पापोॅ के करोॅ।
दुखमयी धरती-धरा के, शीघ्र तों विपदा हरोॅ॥
यातना यम के भगाबोॅ, त्रास मेटनहार छोॅ।
भक्त हितकारी धरा पर, भक्त के आधार छोॅ॥

मांगलिक हर क्षण बनाबोॅ, आय मंगलकारिणी।
जयति जय जय राधिका जय, जयति संकट टारिणी॥

बुद्धि कुछ अहिनों भरोॅ, बीतै समय गुणगान मेॅ।
भाव सें भरलोॅ रहै भंडार तन-मन-प्राण में॥
अर्चना, अभ्यर्थना, अनुनय-विनय, हियहार छै।
पद पखारन लेॅ बहाबै नैन निर्मल धार छै॥

प्राण ‘हीरा’ अब करै उत्सर्ग हे जगतारिणी।
जयति जय जय राधिका जय, जयति संकट टारिणी॥