राधा – अध्याय 6 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा-मोहन कथा-कहानी,जतना कहलोॅ जाय।सब लागै छै थोड़े टानी,मनमाँ कहाँ अघाय॥1॥

सब्भे सखियन बेचैनी सें,खोजै बहुत उपाय।केना रोकौं मनमोहन केॅ,जैतें मथुरा आय॥2॥

जखनी मोहन मथुरा चललै,छोड़ी गोकुल धाम।कोय सखी पहिया तर बैठै,पकड़ै कोय लगाम॥3॥

राधा तड़पेॅ समझ जुदाई,खूब बहाबै लोर।मत जा कान्हा, मत जा कान्हा,खूब मचाबै शोर॥4॥

प्राण बिना जेना तन सूना,चन्दा बिना चकोर।कोयल बिना बसन्त अधूरा,श्यामल घन बिन मोर॥5॥

मणि बिनु मणियर जीव विकल ज्यों,जल बिन विह्वल मीन।कुंज गली, यमुना तट, राधा,मनमोहन बिन दीन॥6॥

पंख कटलका पक्षी नाक्ती,राधा अति लाचार।मनमोहन बिन सूना-सूना,लागै जग-संसार॥7॥

सौ-सौ वादा करलक मोहन,खैलक किरिया ढेर।लौटी ऐबै जल्दी मानोॅ,कहाँ लगैबै देर॥8॥

बढ़लोॅ आगू बड़ी कठिन सेॅ,रथ समझाय-बुझाय।मंत्र मोहनी मनमोहन के,दै छै भूत भगाय॥9॥

तब सें राधा कृष्ण याद मेॅ,जपे कृष्ण के नाम।वृन्दावन के रास रचइया,जय-जय हे सुखधाम॥10॥

कंशराज मथुरा नगरी के,रस्ता मोंन लुभाय।कृष्ण चन्द्र बलदाऊ दोनों,खूब चलै अगुआय॥11॥

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राधा – अध्याय 5 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

अक्रूरे कंशोॅ के खिस्सा,सब्भै बीच सुनाय।कान्हा-बलदाऊ बात सुनी,मन्द-मन्द मुस्काय॥1॥सोचै कान्हा कंश राज के,आबी गेलै काल।ठीक जल्दी होतै ओकरोॅ,हाल बड़ी बेहाल॥2॥नन्द बाबा करिये देलकै,यही बीच एलान।धनुष यज्ञ, मथुरा के शोभा,निरखन करेॅ पयान॥3॥बाबा के एलान सुनी सब,मथुरा वाली बात।गोपियन सब मुरझाई गिरै,अँखियन मेॅ बरसात॥4॥बितलोॅ कथा-कहानी सोचेॅ,कृष्णोॅ के मुस्कान।तन श्यामल घन, चंचल चितवनबाँसुरिया के तान॥5॥वृन्दावन के रास रचलका,घुँघरैलोॅ ऊ बाल।सखियन सब पर वाण चलाबै,मनमोहन के चाल॥6॥कोय तेॅ अक्रूर पेॅ बरसै,गाली दै दू-चार।बड़ा दुष्ट तों हमरा सबकेॅ,देल्हो कष्ट अपार॥7॥क्रूर तोंय, अक्रूर कहाँ सें,नाम रखलखौं माय।दोसरा के दरद की बुझभेॅजे बोलोॅ चिकनाय॥8॥छै अक्रूर कहा निर्मोही,सुन्दर बात बनाय।बाबा केॅ यें मोही लेलक,अब की करबोॅ दाय॥9॥दोष तोरोॅ छौं हे बिधाता!अक्रूर बनी आय।तोहीं कान्हा प्रेम-पाश सें,छोॅ रहलोॅ बिलगाय॥10॥एगो बात विचित्र सखी छै,मनमोहन चितचोर।कखनू नैं ताकै हमरा सब,लागै बड़ी कठोर॥11॥मन देखै छी जाई कान्हा,घुरतै मथुरा हाट।ई छलिया केॅ प्रेम करै के,लागी गेलै चाट॥12॥सब्भैं बूढ़ें बापें, दादा,क…

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राधा – अध्याय 4 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

मोहन मधूवन झूला झूलै,सुनोॅ उधर के बात।अभिमानी कंशासुर काफी,करै रोज उत्पात॥1॥

वासुदेव सेॅ हारी-पारी,वसुदेव संग आय।उलटा-पुल्टा, गरजी-भूकी,खूबे धूम मचाय॥2॥

खिसियैली बिल्ली खंभा केॅ,नोचै जेनाँ आय।वोहिनाँ बौखलाबै कंशो,वसुदेवोॅ लग जाय॥3॥

वासुदेव केॅ खूब सताबै,कंशें हर दिन-रात।उनकोॅ दशा निहारी नारद,बोलै सुन्दर बात॥4॥

कंशराज! कान्हा-बलदाऊ,वसुदेवोॅ के लाल।ऊ दोनों केॅ छोड़ी तोरोॅ,तेसर के छौं काल॥5॥

बिन कसूरी वसुदेव जी पेॅ,बरसै छोॅ दिन-रात।देवकी बहिन के संकट मेॅ,पड़लोॅ छै अहिवात॥6॥

निर्दोष केॅ तकलीफ देना,छै अनुचित, अन्याय।अन्यायी के जन, धन-संपद,राज रसातल जाय॥7॥

नारद बाबा के वाणी सें,कंशो कुछ नरमाय।भेज दूत तब अक्रूरोॅ केॅ,लेलक तुरत बुलाय॥8॥

कंश कहै तब अक्रूरोॅ सें,सोचोॅ कोय उपाय।लानी झट केन्हों कान्हा के,शेखी दहो भुलाय॥9॥

धनुष यज्ञ, मथुरा के शोभा,देखन लेॅ बोलाय।कल-बल-छल सें जेना सपरै,देबै सीख सिखाय॥10॥

पीड़ कुबलिया अपनोॅ लाती,भरता देत बनाय।चाणुर मुष्टिक मुक्खैं-मुक्खैं,कटहर देत पकाय॥11॥<…

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राधा – अध्याय 3 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

हुट्ठी कंश रहै बड़ा, जानै सब संसार।जानी बूझी हर घड़ी, करै सदा तकरार॥करै सदा तकरार, शान्ति के दुश्मन छेलै।अस्त्र-शस्त्र के साथ, हमेशा खेला खेलै॥उत्पाती भी खूब, करै राजा के कुट्टी।लोग सदा भयभीत, रहै अहिनों ऊ हुट्ठी॥1॥

सगरे छैलै ओकरोॅ मनमानी के राज।ढेरी राजा के छिनै, माथा पर के ताज॥माथा पर के ताज, छिनी कारागृह भेजै।शोकाकुल नृपराज, बहुत्ते जीवन तेजै॥सुनी असुर के नाम, हमेश काँपै नगरै।त्राहिमाम के शोर मचाबै सब्भैं सगरे॥2॥

प्यारी बहिना देवकी, खेलै संगे साथ।चललै चर्चा एक दिन, शादी केरोॅ बात॥शादी केरोॅ बात, बसुदेव ब्याहन ऐलै।चारो तरफ उमंग, द्वार-घर-आँगन छैलै॥सजलै दुल्हन रूप, सजाबै सखियन सारी।शोभा केरोॅ धाम, लखै तब बहिना प्यारी॥3॥

शादी के सब काज, पूरा होलै धूम सें।हँसी-खुशी के राज, झलकै चारो दिश सदा॥4॥

माय बहाबै लोर, चिन्तित मनमा बाप के।गाबै भोरमभोर, गीत गला फाड़ी सखी॥5॥

कानी-कानी माय, लिपटी गल्ला सें कहै।रखिहोॅ स्वर्ग बनाय, जा बेटी ससुराल केॅ॥6॥

देवकी, बसुदेव सें ब्याही,जब चलली ससुराल।कंशो चलै बनी लोकनिया,पहुँचाबेॅ तत्काल॥7…

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राधा – अध्याय 2 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

सुता एक वृषभानु घरोॅ मेॅ,सुन्दर परम अनूप।चम्पकवर्णी, गोरी-गारी,रहै मनोहर रूप॥1॥

ऐथै दुख-तकलीफा भागलै,छैलै हर्ष अपार।बढ़ै रुहानी गाँव घरोॅ के,लगै गाँव गुलजार॥2॥

जकरा धरती पर ऐला सें,छैलै खुशी तमाम।माय-बाप सब सोची-सोचीराखै ‘राधा’ नाम॥3॥

राधा घर ऐंगन मेॅ नाची,सबके मन लोभाय।हुन्नें बाबा नंद ऐंगना,कान्हा धूम मचाय॥4॥

डेगा-डेगी भागी-भागी,नाचै गाबी गीत।स्वर्ग धरा पर उतरी ऐलै,लागै मन परतीत॥5॥

हिन्नें मोहन, हुन्नें राधा,दोनों सुख के खान।नाचै, काबै, दौड़ी-धूपी,आँगन, घोॅर, बथान॥6॥

घूमै घर-घर जाय, दुलारी राधा रानी।झगड़ा कखनूॅ मेल, करै सगरे मनमानी॥बढ़लै जल्दी ढेर, सयानी लागेॅ लगलै।माय हिया अरमान, देखी केॅ जागेॅ लगलै॥7॥

राधा के परिवार, बिहा के सगुण उचारै।बाबा जी के बात, वहाँ पर मोॅन बिचारै॥मन-मन सोचै माय, देखताँ कोनों लड़का।शादी मेॅ अरमान पुरैबै बड़का-बड़का॥8॥

जहाँ चाह छै राह वहाँ पर सगरे मिलतै।सही लगन जों पास, विघ्न-बाधा सब हिलतै॥लोग कहै रायान नामके लड़का छेलै।जकरा संगे ब्याह, तुरत राधा के होलै॥9॥

स…

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राधा – अध्याय 1 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

नटनागर करूणा के सागर,मुरलीधर घनश्याम।नइया पार लगाबै सबके,जौनें गाबै नाम॥1॥

हर पल हर संकट मेॅ कान्हा,हेरै सब पर आँख।ओकरोॅ सुधि बिसारै भल्ले,जकरा होल्हौं पाँख॥2॥

प्रभु के महिमा बड़ा गजब छै,इ-टा पार के पाय।प्राणी छै हौ धन्य जगत् मेॅजे नैं नाम भुलाय॥3॥

करै मरै बेरी तक मारिच,रावण केरोॅ काम।ताके अंतर प्रेम परेखी,प्रभु दै अपनोॅ धाम॥4॥

हरिश्चन्द्र अहिनों के सच्चाउनको पूरै बीध।ईश कृपा सें तरै अजामिल,आरू जटायु गीध॥5॥

बड़का-बड़का महा-पातकी,पहुँचै उनकोॅ धाम।जे भूल्हौ-चूकौं सें लेलक,कहियो उनकोॅ नाम॥6॥

भस्मासुर सें डरलोॅ भागै,भोले सम भगवान।मोहनियाँ रूपोॅ सेॅ राखै,शिव-शंकर के मान॥7॥

आँख आंधरोॅ केॅ दै आरूबैहरोॅ केॅ दै कान।कोढ़ी केॅ दै सुन्दर काया,गूँगा सहज जुवान॥8॥

लँगड़ा-लूल्हा दौड़ी-दौड़ी,होवै पर्वत पार।राम नाम हर पल सुखकारी,सब दुख मेटनहार॥9॥

ध्रुव के अहिनों नाबुध बालक,हरदम हरि गुण गाय।धु्रवतारा अखनी चमकै छै,अचल परम पद पाय॥10॥

लाजो राखै दु्रपदसुता के,कान्हा चीर बढ़ाय।दुस्सासन के मान मिटाबै…

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सिंदूरदान – अंगिका गीत – अर्पिता चौधरी (Sindoordaan – Angika Geet – Arpita Choudhary)

उठो उठो सिया बेटी करो तोय सृंगार हे, उठो उठो सिया बेटी करो तोय सृंगार हे, आबि गेले रामचंद्र लेकै बारात हे …2आबि गेले रामचंद्र ………!!

सोने के सिंधौरा लेले सखी सब ठार हे, सोने के सिंधौरा लेले सखी सब ठार हे, उठो उठो रामचंद्र कर सिंदूर दान हे…2उठो रामचंद्र………..!!

राम सीता जोड़ी देखी मनमा लुभाय हे,राम सीता जोड़ी देखी मनमा लुभाय हे, आबो सुनैना रानी देखी ल जमाई हे..2 आबो सुनैना रानी……..!!

कोय नै कमी छै रघुबर जोड़ी के शानमें…….2राम सीता जइसन जोड़ी देखला नै जहान में ….2राम सीता जइसन……..!!

~अर्पिता चौधरी।

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अंग परदेश में बसबै – अंगिका गीत – अर्पिता चौधरी (Ang Pardesh Men Basbai – Angika Geet – Arpita Choudhary)

आपनो कर्ण राजा के भूमी पे रहबेॅ, अंग परदेश में बसबेॅ -2हमरा नैय चाहीयौ चारों धाम, अंग परदेश में बसबेॅ-2

साग भात दूयै रोटी भौरे सांझ खैयबे ,अंग परदेस में बसबेॅ-2हमरा नैय चाहीयौ सुख आराम , अंग परदेश में बसबेॅ-2

जोना विधि रखबो भैया उन्हें विधि रहबेॅ, अंग परदेश में बसबेॅ-2राम राम रटबेॅ आठो याम,अंग परदेश में बसबेॅ-2!

- अर्पिता चौधरी

https://youtu.be/WKTtqij108s?si=T04-G4wReb3mUbQk
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परशुराम ठाकुर ब्रह्मवादी (Parashuram Thakur Brahamvadi)

परशुराम ठाकुर ब्रह्मवादी भारत के एक खोजी इतिहासकार, पुरातत्वविद एवं अंगिका भाषा के विद्वान हैं।

परशुराम ठाकुर ने अपने चालीस वर्षों के ऐतिहासिक अनुसंधान कार्य के द्वारा विश्व इतिहास को एक नई दिशा प्रदान की है। भारतीय इतिहास कांग्रेस के सदस्य रह चुके ब्रह्मवादी के अनेकों ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं जिनमे सृष्टि का मूल इतिहास, अंगिका भाषा उद्भव और विकास, इतिहास को एक नई दिशा, प्राचीन बिहार की शिक्षा संस्कृति का इतिहास, मूल भाषा विज्ञान , आर्य संस्कृति का उद्भव विकास, विक्रमशिला का इतिहास, आर्यों का मूल क्षेत्र: अंगदेश , मंदार : जहाँ से प्रकट हुई गंगा आदि शामिल है। इन्होंने अपने शोध के द्वारा यह साबित किया है कि सृष्टि का आदि और मूल क्षेत्र अंगदेश ही है, जहाँ से सारी सभ्यता का उद्भव और विकास हुआ। इनके मान्यतानुसार आर्यों का मूल क्षेत्र अंगदेश ही था और यहीं से वो बाहर गये। भारतीय इतिहास कांग्रेस के ६१वें सेमिनार में इन्होनें भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो० रामशरण शर्मा की मान्यताओं पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए सारे प्रमाण के साथ यह साबित किया कि आर्य अंगद…

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अंगिका शब्दकोष (य, र, ल, व, श, ष, स, ह) – Angika Language Dictionary

योजना कोनो काम करे के बिचार काल खेत जोतै के बिचार छै (sem. domains: 6.1.2.5 - योजना.)

रत्‍न n धरती के भीतर मिलै वाला रत्न जेकरा सजवट के लेली ईस्‍तेमाल करलो जाय छै हीरा, रूबी-पत्थल (sem. domains: 1.2.2.5 - रत्न.)

रोपना v केला के खेती मामा केला के खेती करै छै (sem. domains: 6.2.1.4.2 - उगाना)

रसीद काटै वाला (sem. domains: 6.1.1 - कर्मचारी.)

राँड़-मोसमात , टरमुनसा, बेबा, विधुर-विधवा n जे मरदाना के बहु मरी गैलो छै, जे जलानी का मरद मरी गैलो छै, हमरो गामो मॅ तीन गो मोसमात छै। (sem. domains: 4.1.9.3 - विधवा, विधुर.)

रामरस - नमक

रौदा - धूप

रुपिया पैसा लेन देन (sem. domains: 6.8 - अर्थ, वित.)

रोपनी धान रोपना खेत मे फसल लगाना (sem. domains: 6.2.3 - खेत रोपना.)

लकरकट्ट…

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अंगिका शब्दकोष (च, छ, ज, झ, ञ) – Angika Language Dictionary

चचेरा भाय/बहिन n जे हमरो माँय-बाप के भाय-बहिन के बच्‍चा छेके हमरो ढेरी चचेरा भाय बहिन छै। (sem. domains: 4.1.9.1.7 - चचेरा भाई या बहन.)

चमगुदड़ी n एगो ऐसनो बहुत्‍ते छोटो आपनो बच्‍चा कॅ दूध पिलाय वाली जानवर जे रात के समय मॅ ऊड़ै छै घर के फूस वाला छप्पर मॅ रहै छै, (sem. domains: 1.6.1.1.8 - चमगादड़.)

चमरी 1देह के उपरका भाग (sem. domains: 2.1.4 - त्वचा.) 2हमरो चमरी पतला छै

चमारि जुता बनावे वाला (sem. domains: 6.6.4.3 - चमड़े के साथ काम करना.)

चिड़याँ n ऐसनो जानवर जेकरा दूगो पाँख होय छै आरू ऊड़ै छै, कबूत्तर, कौवा, सुग्‍गा (sem. domains: 1.6.1.2 - पक्षी.)

चिड़ियाँ के अंग n चिड़ियाँ के देह के अंग पाँख, गोड़, लोल (sem. domains: 1.6.2.1 - किसी पक्षी के भाग.)

चिनता करना n इ दुनिया सँ चललो गाइलै रामु इ दुनिय…

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अंगिका शब्दकोष (ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़) – Angika Language Dictionary

टाका रूपया पैसा टाका (sem. domains: 6.8.6.1 - वितिय इकाई.)

टूवर-टापर n जेकरा माँय-बाप मरी गैलो टूवर-टापर के देखैवाला कोय नै छै (sem. domains: 4.1.9.4 - अनाथ.)

टेबना 1कुछु पायै या करै क जोर लगाना (sem. domains: 6.1.2.1 - कोशिश करना, प्रयास.) 2कुछु पायै या करै क जोर लगाना (sem. domains: 6.1.2.1 - कोशिश करना, प्रयास.)

टेबुल n लकड़ी के बनलो एक समान जेकरा मॅ चार या तीन गोड़ होय छै आरू जेकरा पर कुच्‍छु समान रखॅ सकै छियै घर, स्‍कूल, कॅलेज, ऑफिस मॅ भी टेबुल के ईस्‍तेमाल करलो जाय छै (sem. domains: 5.1.1.1 - मेज़.)

टोकरि,चाटाई बनाना पटिया बानाना (sem. domains: 6.6.4.2 - टोकरी और चटाई बुनना.)

ठक लेन देन मे धोखा देवे वाला (sem. domains: 6.8.9 - वितिय अभ्‍यास में धोखेबाजी.)

ढारना v - पानी अथवा द्रव के बहना, पानी, चाय, ते…

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अंगिका शब्दकोष (त, थ, द, ध, न) – Angika Language Dictionary

तरकारी v अल्लु बैगन टमाटर सिनी लगाना हम्मा तरकारी के खेती करबै (sem. domains: 6.2.1.3 - सब्‍जियाँ)

ताकय (sem. domains: 6.1.2.3.4 - शक्ति, क्षमता, अधिकार, सत्ता, प्रभावशाली, विद्युत् शक्ति, घात, बल, जबरदस्ती.)

तागत 1कोनो काम करै के बल (sem. domains: 6.1.2.3.4 - शक्ति, क्षमता, अधिकार, सत्ता, प्रभावशाली, विद्युत् शक्ति, घात, बल, जबरदस्ती.) 2कोनो काम करै के बल (sem. domains: 6.1.2.3.4 - शक्ति, क्षमता, अधिकार, सत्ता, प्रभावशाली, विद्युत् शक्ति, घात, बल, जबरदस्ती.)

थैलीदार जानवर n दूध पिलावै वाल ऐसनो जानवर जेकरा मॅ आपनो बच्‍चा कॅ राखै लेली थैली होय छै कंगारू (sem. domains: 1.6.1.1.5 - मार्सुपियल.)

थोथरी - मुँह

थेथर - जिद्दी

दरमाहा महिना महिना मिलै वाला वेतन (sem. domains: 6.8.4.5 - तनख्वाह, चुकाना (पैसा).)

दवार घोर के बाहर वाला जगह …

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अंगिका शब्दकोष (प, फ, ब, भ, म) – Angika Language Dictionary

पकि सङक जेकरा पर गाडि आरु लोग सब चलै छै (sem. domains: 6.5.4.1 - सड़क.)

पखाना n सन्‍डास सॅ निकलै वाल मल बिहान कॅ सब्‍भे लोग सिनी पखाना जाय छै। (sem. domains: 2.2.8 - मलत्याग करना, मल.)

पाहुना - दामाद

पटाना खेतो मे पानी पटाना नाना खेतो मे पानी पटाबै छै (sem. domains: 6.2.4.3 - सीँचना.)

पड़ोसिया n घरो के बगलो मॅ रहै वाला लोग सिनी रामू हमरो पड़ोसिया छेकै। (sem. domains: 4.1.4 - पड़ोसी.)

पनियाला अथबा पनीवाला n पानीवाला अथबा पनीवाला जीव अथवा पौधा साँप, हाईड्रीला-पौधा, कमल (sem. domains: 1.3.4 - पानी में रहना.)

परखिरहलो छै v वँ परिक्षारो कोपी जाची रहलो छै मोहन परिक्षारो कोपी जाँची रहलो छै (sem. domains: 3.2.2.2 - जाँचना.)

परवीन कला मे परवीन छे (sem. domains: 6.6.5 - कला, कौशल.)

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अंगिका शब्दकोष (क, ख, ग, घ, ङ) – Angika Language Dictionary

कौरै वाला औजार कोदार खूरपी खंती (sem. domains: 6.7.1.1 - कुरेदने वाले औज़ार.)

कोय चीज कॅ देखै लेली ईस्‍तेमाल होय वाला साधन n जेकरो ईस्‍तेमाल कोय चीज कॅ देकै लेली करलो जाय छै चश्‍मा, दुरबीन, शीशा, (sem. domains: 2.3.1.9 - देखने के लिए उपयोग में आने वाली वस्‍तु.)

कोफी v कोफीके खेती हमरा गाव मे कोफी के खेती नाय होय छै (sem. domains: 6.2.1.7.2 - कोफी )

कोनो चीजो सॅ रोशनी टकराय कॅ वापस लौटना v कोनो चीजो सॅ जैसॅ कि अईना सॅ रोशनी टकराय कॅ वापस लौटना अईना सॅ रोशनी टकराय कॅ हमरो आँखी पर पड़ै छै। (sem. domains: 2.3.1.7 - प्रतिबिंबित करना, दर्पण.)

कचीया n कैंची औजार 

की होळौ - क्या हुआ

कखनी - किस समय

कथी - क्या

कोदार n कुदाल spade

कोठरि पका का घोर (sem. domains: 6.5.2.7 - कमरा.)

केतारी n केतारी रोपना केतारी के खे…

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अंगिका शब्दकोष (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऎ, ऒ, औ) – Angika Language Dictionary

अस्‍नेही₂ n जेकरो कोय दोस्‍त नै हुवॅ ई गाँव मॅ हमरो कोय दोस्‍त नै छै। (sem. domains: 6.1.2.2 - प्रयोग, सेवन, आवश्यकता, लाभ.)

असकतिया आलसी चाचा बरा आलसी छै (sem. domains: 6.1.2.4.2 - आलसी.)

अवाज n कोय स्‍वर, शव्‍द गाना, चिल्लाहट, पुकार (sem. domains: 2.3.2.2 - ध्वनि.)

अपनो मँ खोय गेलयै v वँ अपनो मँ खोयगेलयै रोहान अपनो मँ खोयगेलै (sem. domains: 3.2.1.1 - किसी के बारे में सोचना.)

अन्‍धड़-तूफान n खुब्‍भे जोर सॅ बहै वाला हवा सावन-भादो के महिना मॅ अन्‍धड़-तूफान अईतै रहै छै (sem. domains: 1.1.3.5 - आंधी.)

अजाद a जोन आदमी पर केकरो अधिन मॅ नै हुवे जोहन अजाद आदमी छै। (sem. domains: 4.1.6.4 - स्वतंत्र)

आल्लु n अल्लु रोपना हम्मा दु बिघा अल्लु लगैबै (sem. domains: 6.2.1.2.1 - आलू

अ…

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अंगिका होली लोक गीत – 2022- २ – Angika Holi Lok Geet

अंगिका होली लोक गीत – 2022 – २ : Angika Holi Lok Geet

भागलपुर जिले के गोपालपुर प्रखंड के लपटोलिआ गांव में आज में अंग संस्कृति की जड़ें बहुत मजबूत हैं. पॉप, रॉक एंड हिप हॉप के ज़माने में आज भी वहां के लोग पारम्परिक होली के अंगिका भाषा में गीत गाकर होली त्यौहार का मधुर समां बाँध देते हैं. 

हमारी अंग संस्कृति को जिन्दा रखने और आगे बढ़ाने के लिए इनके हम हमेशा ऋणी रहेंगे !  

https://youtu.be/Hw8Wfz18QkE

अंगिका होली लोक गीत - 2022- २ - Angika Holi Lok Geet

अंगदेश.कॉम, ‘अंगदेश’ क्षेत्र की संस्कृति, भाषा, इतिहास, व्यंजनों, त्योहारों, पर्यटन आदि का प्रतिनिधित्व करती है और बढ़ावा देती है. अंगदेश.कॉम, अंगदेश की इस प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को एक जगह सहेजकर इसे फिर से विश्वभर में पहुँचाने का एक प्रयास भर है. 

अगर आप किसी भी स्वरुप में हमारे इस प्रयास में आप अपनी भागेदारी करना चाहते हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं| आपका सहयोग मिले, तो हम फिर से अपनी हजारों साल पुरानी अंगदेश की गौरवान्वित सभय्ता को पुनर्जिवित कर सकते हैं |

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अंगिका होली लोक गीत – 2022- ३ – Angika Holi Lok Geet

अंगिका होली लोक गीत – 2022 – ३

भागलपुर जिले के गोपालपुर प्रखंड के लपटोलिआ गांव में आज में अंग संस्कृति की जड़ें बहुत मजबूत हैं. पॉप, रॉक एंड हिप हॉप के ज़माने में आज भी वहां के लोग पारम्परिक होली के अंगिका भाषा में गीत गाकर होली त्यौहार का मधुर समां बाँध देते हैं. 

हमारी अंग संस्कृति को जिन्दा रखने और आगे बढ़ाने के लिए इनके हम हमेशा ऋणी रहेंगे ! 

https://youtu.be/VUjHyioqc7U

अंगिका होली लोक गीत - 2022- ३ - Angika Holi Lok Geet 

अंगदेश.कॉम, ‘अंगदेश’ क्षेत्र की संस्कृति, भाषा, इतिहास, व्यंजनों, त्योहारों, पर्यटन आदि का प्रतिनिधित्व करती है और बढ़ावा देती है. 

अंगदेश.कॉम, अंगदेश की इस प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को एक जगह सहेजकर इसे फिर से विश्वभर में पहुँचाने का एक प्रयास भर है. अगर आप किसी भी स्वरुप में हमारे इस प्रयास में आप अपनी भागेदारी करना चाहते हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं| आपका सहयोग मिले, तो हम फिर से अपनी हजारों साल पुरानी अंगदेश की गौरवान्वित सभय्ता को पुनर्जिवित कर सकते हैं |

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अंगिका होली लोक गीत – 2022 – ४ – Angika Holi Lok Geet

अंगिका होली लोक गीत – 2022 – ४ : Angika Holi Lok Geet 

भागलपुर जिले के गोपालपुर प्रखंड के लपटोलिआ गांव में आज में अंग संस्कृति की जड़ें बहुत मजबूत हैं. पॉप, रॉक एंड हिप हॉप के ज़माने में आज भी वहां के लोग पारम्परिक होली के अंगिका भाषा में गीत गाकर होली त्यौहार का मधुर समां बाँध देते हैं. 

हमारी अंग संस्कृति को जिन्दा रखने और आगे बढ़ाने के लिए इनके हम हमेशा ऋणी रहेंगे ! 

https://youtu.be/oDp_sez_ops

अंगिका होली लोक गीत – 2022 – ४ Angika Holi Lok Geet 

अंगदेश.कॉम, ‘अंगदेश’ क्षेत्र की संस्कृति, भाषा, इतिहास, व्यंजनों, त्योहारों, पर्यटन आदि का प्रतिनिधित्व करती है और बढ़ावा देती है.  

अंगदेश.कॉम, अंगदेश की इस प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को एक जगह सहेजकर इसे फिर से विश्वभर में पहुँचाने का एक प्रयास भर है. अगर आप किसी भी स्वरुप में हमारे इस प्रयास में आप अपनी भागेदारी करना चाहते हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं| आपका सहयोग मिले, तो हम फिर से अपनी हजारों साल पुरानी अंगदेश की गौरवान्वित सभय्ता को पुनर्जिवित कर सकते हैं |

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अंगिका होली लोक गीत – 2022 – १ – Angika Holi Lok Geet

https://youtu.be/nEaQDLLWTDg अंगिका होली लोक गीत - 2022 - १ - Angika Holi Lok Geet  भागलपुर जिले के गोपालपुर प्रखंड के लपटोलिआ गांव में आज में अंग संस्कृति की जड़ें बहुत मजबूत हैं. पॉप, रॉक एंड हिप हॉप के ज़माने में आज भी वहां के लोग पारम्परिक होली के अंगिका भाषा में गीत गाकर होली त्यौहार का मधुर समां बाँध देते हैं. हमारी अंग संस्कृति को जिन्दा रखने और आगे बढ़ाने के लिए इनके हम हमेशा ऋणी रहेंगे !  अंगदेश.कॉम, ‘अंगदेश’ क्षेत्र की संस्कृति, भाषा, इतिहास, व्यंजनों, त्योहारों, पर्यटन आदि का प्रतिनिधित्व करती है और बढ़ावा देती है. अंगदेश.कॉम, अंगदेश की इस प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को एक जगह सहेजकर इसे फिर से विश्वभर में पहुँचाने का एक प्रयास भर है. अगर आप किसी भी स्वरुप में हमारे इस प्रयास में आप अपनी भागेदारी करना चाहते हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं| आपका सहयोग मिले, तो हम फिर से अपनी हजारों साल पुरानी अंगदेश की गौरवान्वित सभय्ता को पुनर्जिवित कर सकते हैं |
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अंगिका में और अंग प्रदेश के साहित्यकारों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें | Books from Ang Pradesh

नीचे अंगिका भाषा एवं साहित्य से जुड़ी कुछ पुस्तकों की सूची है|  इसके अलावा कुछ ऐसी भी पुस्तकें हैं जो अंगिका में तो नहीं, परन्तु ऐसे साहित्यकारों द्वारा लिखी गयी हैं जो अंग प्रदेश से हैं| 

इनमें से कई पुस्तकें ऐसी हैं, जिनके चित्र पर क्लिक कर आप उनको ऑनलाइन पढ़ सकते हैं|

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