स्व. अनूप लाल मंडल बिहार के एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थे, जो नाटक, गद्य और कहानी लेखन में भी अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया था। उनकी कहानियों और उपन्यासों में आम जनता के मुद्दों, सामाजिक समस्याओं और मनोवैज्ञानिक विषयों को विस्तृत रूप से व्यक्त किया गया है।
समेली' (मोहल्ला- चकला मोलानगर) शब्द 'मानस-स्क्रीन' पर आते ही एकमात्र नाम बड़ी ईमानदारी से उभरता है, वह है- "अनूपलाल मंडल" (जन्म- माँ दुर्गा की छठी पूजा के दिन, 1896; मृत्यु- 22 सितंबर 1982)। 'परिषद पत्रिका' (वर्ष-35, अंक- 1-4) ने अनूपजी के जीवन-कालानुक्रम को प्रकाशित की है, इस शोध-पत्रिका के अनुसार-- आरम्भिक शिक्षा चकला-मोलानागर में ही । मात्र 10 वर्ष की अवस्था में प्रथम शादी, पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी 16 वर्ष की आयु में सुधा से । तीसरी शादी 27 वर्ष की उम्र में मूर्ति देवी से । सन 1911 में गाँव के उसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक नियुक्त, जहाँ उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण किये थे । बाद में शिक्षक-प्रशिक्षण 1914 में सब्दलपुर (पूर्णिया) से प्राप्त किये । प्राथमिक और मध्य विद्यालयों से होते हुए 1922 में बे…